सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी ग़ौसे आज़म अवार्ड से सम्मानित
शिक्षा समाज को ज्ञानवान, सशक्त, समृद्ध और सुखी बनाती है - मुख्तार अहमद
समाज व देश की बेहतरी के लिए, बुद्धिजीवियों ने साझा किए विचार।
-एमएसआई इंटर कॉलेज में सम्मान समारोह व संगोष्ठी।
सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश गौसे आज़म फाउंडेशन (जीएएफ़) की ओर से मियां साहब इस्लामिया इंटर कॉलेज बक्शीपुर (एमएसआई) के सभागार में सम्मान समारोह व संगोष्ठी का आयोजन हुआ। फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, हज़रत मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह क़ादरी को, नामूसे रिसालत व नामूसे मुल्क पर लगातार पहरा देने, देश में प्यार की गंगा बहाने और हक़ीक़ी ज़रुरतमंदों की मदद करने पर, ग़ौसे आज़म अवार्ड से सम्मानित किया गया। उत्कृष्ट कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं व सहयोगियों को भी सम्मानित किया गया। मेहमानों का स्वागत जिलाध्यक्ष समीर अली व महासचिव हाफ़िज़ मोहम्मद अमन ने किया। संचालन मोहम्मद आज़म ने किया।
संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह क़ादरी ने कहा कि ग़ौसे आज़म फाउंडेशन, एक ऐसी संस्था है, जो बिना भेदभाव के, बिना किसी की जाति, धर्म, मज़हब को देखते हुए, ग़रीबों, यतीमों, लाचारों की मदद करती है। इसी तरह हमारे मदरसे, मस्जिदें व ख़ानक़ाहें लगातार भारत में शांति और भाईचारगी का संदेश फैला रहे हैं। सैफुल्लाह क़ादरी ने वक़्फ़ बिल पर कहा कि मुसलमान अपनी ज़मीन जायदाद को ख़ुदा की राह में, ख़ुदा की रज़ा के लिए, क़ुर्बान करता रहता है ताकि दबे कुचले लोगों की मदद हो सके और दूसरे नेकी के कामों को अंजाम दिया जा सके। वक़्फ़ संपत्तियों में दखल का किसी को भी अधिकार नहीं है। सरकार की मनमानी नहीं चलेगी और अब तो सरकार को मनमानी करना, छोड़ ही देना चाहिए। सरकार मंहगाई, बेरोज़गारी को कम करने पर विशेष ध्यान दे ताकि देशवासियों का भला हो सके।
विशिष्ट वक्ता मुफ्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि ग़ौसे आज़म फाउंडेशन एक ऐसी संस्था है, जो हमेशा से देश व समाज की भलाई के लिए काम कर रही है। दोनों लॉकडाउन में जीएएफ ने हज़ारों घरों तक बिना किसी जाति, धर्म को देखे, अपनी ख़िदमत को अंजाम दिया था। इसके और भी बहुत से ख़िदमात हैं, जिन्हें आपने अपनी आंखों से देखा भी होगा या किसी से सुना होगा।
विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ शिक्षक मुख़्तार अहमद ने कहा कि शिक्षा समाज को ज्ञानवान, सशक्त, समृद्ध और सुखी बनाती है। शिक्षा समाज में सामाजिक न्याय, समानता, एकता और शांति को बढ़ावा देती है। शिक्षा समाज में ग़रीबी, अशिक्षा, अज्ञानता, अन्धविश्वास और अन्य सामाजिक बुराइयों को दूर करने में मदद करती है।
विशिष्ट वक्ता एडवोकेट तौहीद अहमद ने कहा कि सोशल मीडिया आज के दौर में ज़रूरत बन गया है। जहां इसके कुछ फायदे हैं, वहीं कुछ नुक़सान भी हैं। ऐसे में सोशल मीडिया के इस्तेमाल में सावधानी बरतनी चाहिए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शब्दों का चुनाव सोच समझकर ही करना चाहिए। आपकी पोस्ट या टिप्पणी किसी भी तरह के अश्लील या किसी की भावनाओं को चोट पहुंचाने वाली नहीं होनी चाहिए।
समारोह में नायब काजी मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी, क़ारी शरफुद्दीन मिस्बाही, मौलाना नूरुज्जमा मिस्बाही, मौलाना इदरीस, कारी जमील मिस्बाही, मौलाना रियाजुद्दीन कादरी, अरशद जमाल समानी, हाफिज रहमत अली निज़ामी, मौलाना महमूद रज़ा, वरिष्ठ समाजसेवी आदिल अमीन, सेराज अहमद कुरैशी, कारी मोहम्मद अनस रजवी, जहांगीर खान, मोहम्मद फ़ैज़, नूर मोहम्मद दानिश, मोहम्मद ज़ैद, अमान अहमद, मौलाना अली अहमद, तौसीफ अहमद, रियाज़ अहमद, मोहम्मद जै़द क़ादरी, अहसन खान, नवेद आलम, अली ग़ज़नफर अज़हरी, इंजमाम खान, कारी कासिम, अहमद आतिफ, आसिफ महमूद, एडवोकेट आज़म आदि मौजूद रहे।
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