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उर्स मुबारक 4,5,6,7 फरवरी 2023 को बड़ी दरगाह मदीनतुल औलिया सफीपुर शरीफ मे होगा

हज़रत मखदूम शाह मोहम्मद खादिम सफी मोहम्मदी सफवी,  मीनाई,  निज़ामी , चिश्ती अलहिर्रहमा।  


   
कानपुर, मदीनत-उल-औलिया क़स्बा सफीपुर शरीफ को जिन मुक़द्दस और जलील-उल-क़दर शख्सियात पर फख्रो नाज़ है उन्हीं अज़ीम शख्सियात में "मुजद्दिदये सिलसिला-ए-सफविया हज़रत मखदूम शाह मोहम्मद खादिम सफी मोहम्मदी अलहिर्रहमा" की ज़ात है। आपको सिलसिला-ए-सफविया का मुजद्दिद कहा जाता है। आप 12 रजब , 1229 हिजरी को दोशम्बा(सोमवार) की रात सफीपुर में पैदा हुए। आप के वालिद का नाम 'अताए सफी' था। आप हज़रत हज़रत बन्दगी शाह मुबारक की औलाद में हैं।हज़रत शाह खादिम सफी रहमतुल्लाह अलैहि की तबीयत में बेहद इस्तेक़ामत थी, जंगे आज़ादी के ज़माने में फिरंगियों ने सफीपुर को भी नहीं बख्शा, लेकिन आप हस्बे मअमूल दरगाह में बैठते और खानक़ाह का दरवाज़ा खुला रखते। एक दिन फिरंगी सिपाही खानकाह तक आ पहुंचे लेकिन अंदर नहीं आए थोड़ी देर बाद उनका एक अफसर आया और आपका रौब-व-जलाल देखकर क़दम छूकर वापस चला गया।आप फरमाते हैं "लोग जो हमारे पास आते हैं नर्मी और मदारात की वजह से आते हैं, अगर एक दिन भी उनकी तरफ नज़रे इल्तेफात न करूं तो कोई न आए"। 
आपने  नाक़िसों को कामिल और कामिलों को रहनुमा बनाने का काम अंजाम दिया। आपका विसाल 13 रजब सन 1284 हिजरी मुताबिक़ 9 अक्टूबर 1870 ई० को 58 साल की उम्र शरीफ में हुआ और आप सफीपुर ही में मदफून हुए। उर्स ए पाक चांद की तारीख के हिसाब से रजब की 12,13,14,15 को होता है जो इंशाअल्लाह इस साल  4,5,6,7 फरवरी 2023 को बड़ी दरगाह मदीनतुल औलिया सफीपुर शरीफ  मे होगा!

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