एडीएम ने किसान भाइयों से फसल अवशेष/पराली को न जलाने की किया अपील
संत कबीर नगर जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह के निर्देश के क्रम में अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) मनोज कुमार सिंह ने जनपद में हो रहे धान के फसल की कटाई के बाद पराली/अवशेष को न जलाए जाने के संबंध में जनपद के किसान भाइयों से अपील किया है कि फसल अवशेष / पराली को खेतों में जलाने से भूमि उर्वरा शक्ति पर दुष्प्रभाव पड़ता है, लाभकारी सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है, आगामी फसल की ऊपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पशुओं के चारे की समस्या उत्पन्न हो जाती है, इसके साथ ही वायु अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है, जो जन मानस के स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है, यह भी देखने में आता है कि फसल अवशेष जलाने से भीषण अनिकांड की घटनाएं हो जाती है जिसमें जन, पशु की मृत्यु तक हो जाती है।
इस संबंध में जिला कृषि अधिकारी पीसी विश्वकर्मा ने बताया कि पराली / फसल अवशेष नही जलाने से मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि होती है, लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है, मृदा में जल धारण संख्या में वृद्धि होती है, दलहनी फसलों के अवशेष से मृदा में नत्रजन एवं अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है। उन्होंने बताया कि मा० राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण नई दिल्ली द्वारा फसल अवशेष जलाने पर खेत के क्षेत्रफल के अनुसार अर्थदण्ड दो एकड़ से कम क्षेत्रफल वाले कृषकों से रू० 2500, दो से पाँच एकड़ वाले कृषकों से रू0 5000 एवं पाँच एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले कृषकों से रू0 15000 की क्षतिपूर्ति प्रति घटना की वसूली जायेगी। इसके साथ ही दोषी के विरूद्ध कठोर दण्ड का भी प्राविधान किया गया है।
अतः जनपद के किसान भाईयों से अपील की जाती है कि अपने धान फसल कटाई के उपरान्त फसल अवशेष / पराली / अन्य कृषि अपशिष्ट को खेत में मिलाकर बायो डिकम्पोजर का प्रयोग कर खेत में ही सड़ाकर खाद बना सकते है, इसके अतिरिक्त फसल अपशेष / पराली / अन्य कृषि अपशिष्ट को खाद के गढ़ढ़े में भर कर बायो डि कम्पोजर के छिड़काव करें, यह कुछ समय बाद खाद का रूप ले लेगी जिसका आप अपनी फसल में प्रयोग कर सकते हैं, जिससे फसल की उत्पादकता में वृद्धि होगी एवं मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ेगी। साथ ही पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा। जिन भी किसान भाई के द्वारा पराली / फसल अवशेष / अन्य कृषि अपशिष्ट को जलाया जाता है तो सम्बन्धित कृषक के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही भी की जायेगी।
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