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धरती के भगवान बने शैतान एक लाख में खरीद ली जान

 


कानपुर- मनुष्य भगवान के बाद किसी की पूजा करता है तो वह होता है डॉक्टर,अगर डॉक्टर धरती पर स्वर्ग तलाशने के लिए धन दौलत को ही अपना सब कुछ समझने लगे तो मरीज को अपनी जान तो गवानी ही पड़ेगी।कुछ ऐसे ही दौलत कमाने का कारनामा हो रहा है नगर के मानक विहीन रीवा अस्पताल में,जहां डाक्टरों के धन की भूख ने एक बेगुनाह मरीज की जान ले ली।प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 7/10/22 को सकेरा स्टेट निवासी नगमा नामक महिला को पेट में दर्द होने पर जी टी रोड के रीवा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।महिला का चिकित्सीय परीक्षण करने के उपरान्त अस्पताल की मालकिन डॉ अंजुम गुप्ता (जो छावनी सार्वजनिक अस्पताल में एम ओ के पद पर कार्यरत हैं)ने बच्चेदानी में गाँठ का बताकर ऑपरेशन करने को कहा।परिजनों की सहमति मिलने पर डॉ अंजुम गुप्ता द्वारा नगमा नामक महिला का 8/10/22 ऑपरेशन कर दिया गया। ऑपरेशन के 2 दिन बाद मरीज की हालत बिगड़ने पर डॉक्टर अंजुम गुप्ता ने मरीज के परिजनों को भ्रमित करते हुए कहा,मरीज के पेट में छोटी-छोटी कई गाँठे हैं, जिसके कारण मरीज की हालत बिगड़ रही है।मरीज के परिजनों ने अपने मरीज की बिगड़ती हालत पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा,ऑपरेशन के बाद तो हमारा मरीज सही था।लेकिन मरीज के परिजनों को क्या मालूम था जिसे वह भगवान समझकर अपने मरीज की जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं,असल में उसी डॉक्टर के अप्रशिक्षित स्टाफ की लापरवाही के कारण उस मरीज की हालत बिगड़ी है,और चंद समय बाद ही उस मरीज को अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया।सूत्रों के अनुसार नगमा नामक महिला की बच्चेदानी का ऑपरेशन डॉक्टर अंजुम गुप्ता के द्वारा करने के बाद पेट से गंदगी निकालने वाली ट्यूब डालने में गड़बड़ी हुई,जिसके कारण पेट में ही गंदगी जमा होने लगी,3 दिन बाद इस गलती का एहसास होने पर (कि ट्यूब गलत पड़ गई है) जिसके कारण अब उस मरीज का बचना मुश्किल है।डॉक्टर को अपनी लापरवाही का एहसास होने पर डॉक्टर ने तुरंत अस्पताल प्रशासन को मामले को संभालने की एडवाइजरी जारी कर पेट में गांठ का बहाना बनाकर पुनः ऑपरेशन करने को कहा।लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉ अंजुम गुप्ता व उनके पति डॉ विनय गुप्ता ने अपने मानक विहीन आईसीयू के वेंटिलेटर का सहारा लिया लेकिन मरीज की जान नहीं बचा सके।यहीं से शुरू हुआ अपनी गलती पर पर्दा डालने का ड्रामा और मरीज के परिजनों पर 96 हज़ार के बिल को माफ कर भगवान भगवान का दर्जा प्राप्त करने का खेल।डॉक्टर व अस्पताल प्रशासन ने मरीज के परिजनों को समझाया हम आपका ₹96 हज़ार का बिल माफ कर रहे हैं,जिससे मरीज के परिजन डॉक्टर साहब के दयालु  होने पर विश्वास कर अपने मरीज के पार्थिव शरीर को लेकर अस्पताल से चले गए।अब प्रश्न यह उठता है कि क्या सरकार को ऐसे मानक विहीन अस्पतालों व डाक्टरों पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जो पैसों के लिए मरीज की जान से के दुश्मन बने बैठे हैं?


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