रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद हमारे आइडियल हैं - मुफ़्ती-ए-शहर - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद हमारे आइडियल हैं - मुफ़्ती-ए-शहर

 


सेराज अहमद कुरैशी 

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश नौजवान कमेटी की ओर से सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार के मैदान में मोहसिन-ए-इंसानियत सेमिनार हुआ। शिक्षक कारी शरफुद्दीन कादरी व हाफिज रजी अहमद बरकाती को दीनी शिक्षा में अहम योगदान देने पर मुख्य अतिथियों ने 'सब्जपोश अवॉर्ड' से सम्मानित किया। सम्मानित शिक्षकों को शाल, शील्ड व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। विभिन्न दीनी विषयों पर शोध पत्र मौलाना शेर मोहम्मद अमजदी, मौलाना फैयाज अहमद निज़ामी, कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने पेश किया। शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले युवा उलमा किराम को नगद पुरस्कार व शील्ड से नवाजा गया। सेमिनार का संचालन हाफिज रहमत अली निजामी ने किया।   

मुख्य अतिथि मुफ़्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि क़ुरआन में अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है रसूल जो दें वह ले लो और जिससे मना करें उससे रुक जाओ। अल्लाह का यह फरमान हर दौर के लिए है। रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हमारे आइडियल हैं। हमें उन्हीं के नक्शेक़दम पर चलकर दीन व दुनिया की कामयाबी मिल सकती है। रसूल-ए-पाक की तालीमात पर अमल कर दुनिया वालों के लिए बेहतरीन नमूना बनें। इससे रसूल-ए-पाक खुश होंगे। दीन-ए-इस्लाम सलामती का मजहब है।

मुख्य वक्ता मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी कहा कि मुसलमानों के ज्ञान व विद्या में किए गये कारनामों को नई नस्ल के सामने पेश किया जाए और उन्हें यह एहसास कराया जाए कि दीन-ए-इस्लाम के दामन से ही रोशनी मिलेगी। दीन-ए-इस्लाम की रोशनी इंसान को फायदा पहुंचाने वाली है। हम पश्चिमी जगत की भौतिक उन्नति देखकर हीन-भावना का शिकार न हों और विज्ञान व टेक्नाॅलाजी के क्षेत्र में आगे आएं।

अध्यक्षता करते हुए नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा मुसलमान ज्ञान के हर क्षेत्र में आगे थे। चाहे उसका सम्बन्ध धार्मिक ज्ञान से हो या आधुनिक ज्ञान से। धार्मिक ज्ञान में वे मुफक्किर-ए-इस्लाम और वलीउल्लाह थे, तो आधुनिक ज्ञान में उनकी गणना दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों में होती थी, यही कारण था कि अल्लाह ने धार्मिक और आधुनिक ज्ञान के कारण उन्हें बुलंदियों पर बिठा दिया था। तब हम तादाद में कम थे, लेकिन ज्ञान के हुनर-ओ-फन में हमारा कोई सानी नही था। हमारे ज्ञान व कला को देख कर विरोधी तक हमारी प्रशंसा करने के लिए मजबूर हो जाते थे। आज हम करोड़ो में हैं लेकिन ये फन हमारे हाथों से निकलता जा रहा है, क्यूंकि हमारा सम्बन्ध अल्लाह और उसके रसूल से हटता जा रहा है।

नात-ए-पाक कैसर आजमी, हाफिज आरिफ, हाफिज महमूद रज़ा, अफरोज क़ादरी, हाफिज रहमत अली ने पेश की।अंत में सलातो सलाम पढ़ कर दुआ मांगी गई। सेमिनार में सैयद तारिक सब्जपोश, सैयद अली सब्जपोश, सैयद जव्वाद सब्जपोश, हाफिज आमिर अली निजामी, तनवीर आलम, आसिफ अहमद, मो. इसहाक, एहतेशाम कादरी, समीर अली, युसूफ, आरिफ सामानी, तारिक सामानी, हाजी खुर्शीद आलम खान, नवेद आलम, मोहम्मद आजम, मुख्तार अहमद,   हाफिज अयाज़, नजरे आलम कादरी, एमादुद्दीन, मो. जाबिर, अली गजनफर शाह, सैयद नदीम अहमद, ताबिश सिद्दीक़ी, काजी इनामुर्रहमान, महताब आलम, समीर अली, मुनाजिर हसन, नूर मोहम्मद दानिश आदि ने शिरकत की।



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