भ्रष्टाचार के विरोध में डिप्टी कमिश्नर ने लिया सेवा निवृत्ति
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश महापुरुष द्वय महात्मा गांधी जी और भारत रत्न शास्त्री जी की जयंती के शुभ अवसर पर सत्यमेव जयते न्यास द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।
सत्यमेव जयते न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व उप आयुक्त वाणिज्यकर डॉ सत्यमेवजयते भारत लोकमंगल (पूर्व नाम डॉ श्याम धर तिवारी) ने भ्रष्टाचार का प्रतिकार करते हुए 30 सितंबर 2022 को राज्य कर विभाग से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लिया।
वर्ष 2007 में भ्रष्टाचार का प्रतिकार करते हुए समान विचार के अधिकारियों और नागरिकों ने वाराणसी में सत्यमेव जयते न्यास का गठन किया था। सत्यमेव जयते न्यास ने भ्रष्टाचार का विरोध और जनजागरण अभियान को तेज करने का निर्णय किया है।
उन्होंने कहा कि 2047 में भारत के और भारतीय समाज की आवश्यकताओं और लक्ष्यों को पाने के लिए हमको अभी से ईमानदारी से काम करना होगा। डॉ सत्यमेवजयते ने कहा कि बंद वार्ताओं में सामान्य रूप से यह देखा जाता है कि ईमानदारी का उपहास और भ्रष्टाचारी का गुणगान किया जाता है। सार्वजनिक मंचों पर ही सत्य की बात सुनी-कही जाती है।इस स्थिति को बदलने की आवश्यकता है। सत्य की बात भीतर और बाहर सभी कार्यों और मंचों पर स्थापित किए जाने की आवश्यकता है।
संस्थागत भ्रष्टाचार का विरोध करने का अपना अनुभव बताते हुए कहा कि 2019 में उपायुक्त प्रशासन गोरखपुर के पद पर कार्यरत था। उस समय तत्कालीन कार्यालयाध्यक्ष श्री शेष मणि शर्मा द्वारा विभागाध्यक्ष की बैठक के नाम पर लाखों रुपए के फर्जी बीजक बाजार से मंगाकर और उस धनराशि को कोषागार से आहरित करने के लिए दबाव बनाया जाता रहा। जब फर्जी और नियम विरुद्ध कार्य का पालन नहीं कराया गया तो अपर आयुक्त द्वारा विभागाध्यक्ष को निंदा पत्र भेज दिया गया। जवाब में डॉ सत्यमेवजयते द्वारा पूरा प्रकरण तत्कालीन विभागाध्यक्ष आयुक्त वाणिज्यकर को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया।
अधीनस्थ अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार का ऐसा अकल्पनीय खुला विरोध किए जाने पर अपर आयुक्त ने नाराजगी और बौखलाहट में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मिथ्या आरोप गढकर विभागाध्यक्ष और शासन को आरोप पत्र भेजा दिया।
डॉ सत्यमेवजयते द्वारा इन आरोपों की जांच के लिए वीडियोग्राफी कराने की मांग की गई, आरोपों के झूठा सिद्ध होने के साथ स्वयं का झूठ वीडियोग्राफी में रिकॉर्ड होने के डर से तत्कालीन अपर आयुक्त स्वयं द्वारा लगाए गए आरोपों के प्रतिपरीक्षण में उपस्थित होने से मना कर दिया।
उसी समय अपीलीय कार्यालय गोरखपुर में तैनातअपर आयुक्त ग्रेड 2 स्तर के अधिकारी श्री सत्यपाल द्वारा राजकीय बजट से भुगतान किए जाने की अपेक्षा करते हुए एक महिला दैनिक मजदूर को निजी कार्य के लिए आवास और कार्यालय में तैनात करने का कई माह तक दुराग्रह किया जाता रहा। राजकीय बजट का निजी कार्यों में उपयोग को भ्रष्टाचार मानते हुए डॉ सत्यमेवजयते ने तैनाती नही किया। तब अपीली अधिकारी ने षणयंत्र करते हुए झांसी, प्रयागराज, गोरखपुर यहां तक कि दिल्ली से अपने परिचित करापवंचक दलालों को दुष्प्रेरित करके डेढ़ दर्जन से अधिक आईजीआरएस आदि शिकायतें माननीय मुख्यमंत्री जी, अपर मुख्य सचिव, विभागाध्यक्ष, मंडलायुक्त,जिलाधिकारी एवं कार्यालयाध्यक्ष को कराने लगा। 2021 में तैनात कार्यालयाध्यक्ष श्री बाबूलाल द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए कार्यालय कर्मचारियों पर दबाव बनाकर झूठे आरोप और शिकायत करने का कार्य किया जाता रहा। शासनादेशों का उल्लंघन करते हुए मनमाना और एक पक्षीय जांच निष्कर्ष मुख्यालय भेजते रहे। मुख्यालय की जांच में आरोप और शिकायतें झूठी और निराधार पाई गई। इस प्रकार ईमानदार एक अधिकारी का लगातार मानसिक शोषण और राजकीय संसाधनों की और समय की हानि होती रही। पद का दुरुपयोग, षडयंत्र और भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारीयों के विरुद्ध पारदर्शी जांच और कार्यावाही आजतक नही की गई है। उक्त अधिकारियों की दंडित करने की बजाय अपर आयुक्त ग्रेड एक सहारनपुर और सदस्य अधिकरण वाणिज्य कर लखनऊ के पद पर प्रोन्नत कर दिया गया।
डॉ सत्यमेवजयते ने कहा कि देश, समाज और व्यक्ति के जीवन में सत्य और अहिंसा के मानवीय मूल्य को कार्य विधि के रूप में अपनाना होगा। सार्वजनिक हित में ऐसा करना कभी-कभी किसी का विरोध करना आवश्यक हो जाता है। उन्होंने सामान्य जन से भ्रष्टाचार करने वाले लोकसेवकों के खुला विरोध और बहिष्कार करने का आह्वान किया और भ्रष्टाचार करने वाले उक्त अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की भी मांग की।
प्रभा शंकर पाठक अधिवक्ता, प्रांतीय संयुक्त सचिव उत्तर प्रदेश कर अधिवक्ता संगठन, लखनऊ एवम् पूर्व अध्यक्ष टैक्स एडवोकेट एसोसिएशन गोरखपुर ने कहा कि डॉ. सत्यमेवजयते, जांच में निर्दोष सिद्ध हुए पर भ्रष्ट अधिकारी दण्डित नहीं किए। जिसके कारण उनके जैसे तेज़ तर्रार और ईमानदार अधिकारी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लिया। उम्मीद है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनका दशकों का प्रयास व्यर्थ नहीं जायेगा। हम सब भ्रष्टाचार की उनकी लड़ाई में सहयोगी बनेंगे। एजाज रिज़वी अधिवक्ता, अध्यक्ष टैक्स बार एसोसिएशन गोरखपुर ने कहा कि डॉ. सत्यमेवजयते बहुत ईमानदार अधिकारी रहे हैं। इन्होंने कार्यालय के आसपास की गंदगी को साफ कराया, पेड़-पौधे लगावाया। जिससे पता चलता है कि वह अपने परिवेश को जीवंत बनाने के लिए बहुत सक्रिय रहते हैं। विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने उनका उत्पीड़न किया। टैक्स बार एसोसिएशन की ओर से शपथ पत्र पर डॉ सत्यमेवजयते की ईमानदारी को रेखांकित करते हुए जांच समिति को प्रस्तुत किया। उनका राजकीय सेवा बाहर जाना सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति को बहुत बड़ा धक्का है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एवम् बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के आचार्य राजावशिष्ठ त्रिपाठी, ने कहा कि हमें यह जानकर अति पीड़ा और क्षोभ का अनुभव हो रहा है कि अपने शुचिता पूर्ण जीवन और कार्यशैली वाले अधिकारी इस व्यवस्था में पीड़ित होकर व्यवस्था से बाहर जाने को बाध्य हो रहे हैं और व्यवस्था में भ्रष्टाचारी फल फूल रहे हैं। पर मुझे खुशी है कि डॉ सत्यमेवजयते न दैन्यम न पलायनम् की नीति अपनाते हुए भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए आगे आ गए हैं। हम इस लड़ाई में उनके साथ हैं।
इस प्रेसवार्ता में शुकदेव मिश्र सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी सत्यमेव जयते न्यास, श्री विपिन राय, डॉ. विनीत कुमार चौबे, डॉ. अरुण कुमार पांडेय, डॉ. मार्कंडेय सिंह, डॉ. सचिन, डॉ मनीष पांडेय, इंजीनियर आशुतोष मिश्र एवम् सत्यमेव जयते न्यास के गोरखपुर इकाई के संयोजक डॉ राकेश कुमार तिवारी आदि उपस्थित रहे।
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