शिक्षक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए दे शिक्षा- जिलाधिकारी
रफ़ी अहमद अंसारी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शिक्षक अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए पठन-पाठन सुचारू रूप से संचालित करते हुए छात्र छात्राओं को शिक्षा दें कोविड-19 संक्रमण की वजह से प्राथमिक विद्यालयों में 2 वर्षों के बाद पठन-पाठन प्रारंभ हुआ है 25 अप्रैल से परीक्षा प्रारंभ होगा छात्र-छात्राओं व शिक्षक की गुणवत्ता परीक्षा के बाद रिजल्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा कि शिक्षकों ने छात्र छात्राओं को अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन करते हुए पठन-पाठन सही तरीके कराकर परीक्षा संपन्न कराया जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने शिक्षकों व शिक्षक प्रतिनिधियों से कहा कि शिक्षा में सुधार लाने के लिए शिक्षक अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन करते हुए स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए हमें वर्तमान शैक्षिक उद्देश्यों को भी पुनरीक्षित करना होगा। शिक्षा, महज परीक्षा पास करने या नौकरी/रोजगार पाने का साधन नहीं है। शिक्षा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास, अन्तर्निहित क्षमताओं के विकास करने और स्वथ्य जीवन निर्माण के लिए भी जरूरी है। शिक्षा प्रत्येक बच्चे को श्रेष्ठ इंसान बनने की ओर प्रवृत्त करे, तभी वह सार्थक सिध्द हो सकते है। कहा भी गया है ''सा विद्या या विमुक्तये''। अभी पढ़े-लिखे और गैर पढ़े-लिखे व्यक्ति के आचरण और चरित्र में कोई खास अन्तर दिखाई नहीं देता। उल्टे पढ़-लिख लेने के बाद तो व्यक्ति श्रम से जी चुराने लगता है शैक्षिक परिवर्तन के लिए शिक्षकों का मनोबल बनाए रखने और उत्साहपूर्वक कार्य करने की इच्छाशक्ति पैदा करने के लिए संगठित प्रयास करने होंगे। शिक्षा व्यवस्था में बालकों और पालकों की भागीदारी न्यूनतम है, इसलिए सभी शैक्षिक कार्यक्रम सफल नहीं हो पाते हैं। कार्यकर्ताओ प्राथमिक शालाओं के शिक्षकों को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और प्रशासनिक दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है। साथ ही ऐसी शिक्षा नीति बनाई जाती है जिसमें उनका मनोबल सदैव ऊँचा बना रहे। जब तक अनुभव जन्य ज्ञान, और कौशलों को महत्व नहीं दिया जाएगा तब तक ''बालकेन्द्रित शिक्षण'' की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है। बाल केन्द्रित शिक्षण के लिए कार्यरत शिक्षकों की दक्षता और मनोबल बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।यह आवश्यक है कि शिक्षकों को उनके व्यक्तित्व विकास की प्रक्रियाओं सहित अपने अन्दर झाँकने ,कुछ बेहतर कर गुजरने की प्रेरणा मिल सके।
आज जरूरत इस बात की है कि किसी प्रकार पढ़ने-लिखने की प्रक्रिया में परिवर्तन लाने के लिए विद्यालय प्रशासन, शिक्षकों और शैक्षिक कार्यक्रमों में तालमेल बनाया जाए। समुदाय की शैक्षिक आवश्यकताओं को पहचान कर उनकी जरूरतों के अनुरूप निर्णय लेते हुए ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता है जिसमें शैक्षिक योग्यता में वृध्दि सुनिश्चित हो। बैठक में प्रमुख रूप से ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सुमित महाजन बीएसए रमेन्द्र सिंह शिक्षक व शिक्षक प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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