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इमाम अहमद, इमाम मालिक व शैख़ अब्दुल हक़ को शिद्दत से किया याद

शाही जामा मस्जिद में मुक़द्दस हस्तियों की याद में सजी  महफिल। 

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। 

शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह में दीन-ए-इस्लाम की मुक़द्दस हस्तियों की याद में महफिल सजी। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात-ए-पाक पेश की गई। हज़रत इमाम अहमद बिन हंबल, हज़रत इमाम मालिक बिन अनस, हज़रत ख़्वाजा कुतबुद्दीन बख़्तियार काकी, हज़रत मख़दूम अलाउद्दीन अहमद

साबिर कलियरी, हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी, हज़रत राबिया बसरी अलैहिर्रहमां की रूह को इसाले सवाब किया गया। अवाम के सवालों का जवाब क़ुरआन व हदीस की रोशनी में दिया गया।
मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ आफताब ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम व पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शिक्षाओं के महान प्रचारक हज़रत सैयदना इमाम अहमद बिन हंबल, हज़रत सैयदना इमाम मालिक बिन अनस, हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर, हज़रत ख़्वाजा कुतबुद्दीन बख़्तियार काकी, हज़रत राबिया बसरी व हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी थे। दीन-ए-इस्लाम व शांति की शिक्षा उनके जीवन का मकसद था। सृष्टि के निर्माता अल्लाह से मिलाना और इंसान को इंसानियत के बारे में बताना और चलाना उनका विशेष कार्य था। उक्त बुजुर्ग अल्लाह के महबूब बंदे थे, उन्होंने दीन-ए-इस्लाम का पैग़ाम अवाम तक पहुंचाया। पूरी ज़िदंगी शरीअत की पाबंदी की। 
मुख्य वक्ता कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि हज़रत सैयदना इमाम अहमद बिन हंबल का विसाल 12 रबीउल अव्वल 241 हिजरी में हुआ। मजार इराक में है। हज़रत सैयदना इमाम मालिक बिन अनस का विसाल 14 रबीउल अव्वल 179 हिजरी में हुआ। मजार मदीना शरीफ़ में है। हज़रत मख़दूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर कलियरी का विसाल 13 रबीउल अव्वल 690 हिजरी में हुआ। मजार उत्तराखंड में है। हज़रत ख़्वाजा कुतबुद्दीन बख़्तियार काकी का विसाल 14 रबीउल अव्वल 633 हिजरी में हुआ। मजार महरौली (नई दिल्ली) में हैं। हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी का विसाल 21 रबीउल अव्वल 1052 हिजरी में हुआ। मजार महरौली (नई दिल्ली) में है। हज़रत राबिया बसरी का विसाल 23 रबीउल अव्वल 185 हिजरी में हुआ। मजार जेरूसलम (फिलीस्तीन) में है।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। महफिल में अफ़ज़ल हुसैन, अब्दुर्रहमान, सऊद, अहमद आदि ने शिरकत की।

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