योगी सरकार में पत्रकार पर जानलेवा हमला सोती रही सन्त कबीर नगर पुलिस - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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योगी सरकार में पत्रकार पर जानलेवा हमला सोती रही सन्त कबीर नगर पुलिस


डा बेचन प्रसाद यादव 

लखनऊ के सुबे में बैठे हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश के चौथे स्थान कहे जाने वाले पत्रकारों के प्रति जिस तरीके से कानून व्यवस्था को लेकर के लगातार आदेश जारी करते रहे सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया योगी सरकार में लगातार एक नया मामला सामने आया है जिस तरीके से संत कबीर नगर के पुलिस प्रशासन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के डीजीपी के आदेश का आवेदन करती नजर आ रही है आखिर जिले में बैठे सुबह के जिम्मेदार अधिकारी को आखिर क्यों सांप सूघ गया है जानलेवा हमला करने वाले के खिलाफ नॉर्मल धाराओं में जिस तरीके से अपनी कलम बच्चा करके पुलिस फिर दर्ज कर रही है सवाल उठता है जिंदगी मौत से जूझ रहे पत्रकार कृपया के प्रति जिला प्रशासन पुलिसिंग व्यवस्था पर उठ रहे हैं सवाल संतकबीरनगर जिले के सेमरियावा ब्लॉक में एक पत्रकार पर दबंगों ने जानलेवा हमला कर दिया, जिसमें उसका पैर गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना से क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है, वहीं पुलिस की लापरवाही पर भी सवाल उठने लगे हैं।

पत्रकार ने अपने ऊपर हमले की 15 दिन पहले पुलिस को दी थी धमकी की जानकारी


स्थानीय अखबार साफ संदेश के पत्रकार जावेद अहमद ने 27 जनवरी 2025 को बाघ नगर चौकी पर प्रार्थना पत्र देकर कुछ दबंगों से अपनी जान को खतरा बताया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ लोग उन्हें मारने की धमकी दे रहे हैं और किसी भी समय उन पर हमला हो सकता है। लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और कोई कार्रवाई नहीं की।

दबंगों_ने_किया_जानलेवा_हमला


शुक्रवार को जब पत्रकार जावेद अहमद बाघ नगर चौकी के पास सेहुड़ा आरा मशीन के पास एक चाय की दुकान पर बैठे थे, तभी उन्हीं दबंगों ने उन पर हमला कर दिया। उन्होंने गाली-गलौज करते हुए पत्रकार पर लात-घूंसों और डंडों से हमला किया। इस हमले में जावेद अहमद के पैर में गंभीर चोट आई और वह मौके पर ही गिर पड़े। स्थानीय लोगों ने उन्हें उठाकर सीएचसी सिमरिया में भर्ती कराया, जहां उनका इलाज चल रहा है।


*पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल*


इस हमले ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 15 दिन पहले ही पत्रकार ने अपनी सुरक्षा को लेकर शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस ने इसे नजरअंदाज कर दिया। अगर समय रहते आरोपियों पर कार्रवाई होती, तो यह घटना टाली जा सकती थी।

अब होगी कार्रवाई?

इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है। अब देखना होगा कि क्या पुलिस हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा। पत्रकारों पर बढ़ते हमले और प्रशासन की लापरवाही ने क्षेत्र के मीडिया कर्मियों में भी आक्रो

श पैदा कर दिया है।

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