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एनएचएम एएनएम संविदा कर्मचारियों का लखनऊ में प्रदर्शन

 


लखनऊ उत्तर प्रदेश राज्य एनएचएम एएनएम संविदा कर्मचारी यूनियन के आह्वान पर   प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में नियोजित संविदा एएनएम की समस्याओं को लेकर परिवर्तन चौक पर जोरदार प्रदर्शन किया। बेहद खराब मौसम के बावजूद दूर दराज से आई एएनएम कर्मी तय कार्यक्रम के अनुसार परिवर्तन चौक से स्वास्थ्य भवन तक मार्च निकालने के लिए जैसे ही एकत्र हुई ,भारी पुलिस बल ने रोक लिया। जहां पर प्रदर्शन कारियो ने सभा की प्रदर्शन कारियों को संबोधित करते हुए अध्यक्ष सुमन साहनी ने कहा कि सहायक नर्स मिडवाइव्स (एएनएम) के रूप में भर्ती  होने के बाद से नियमित रूप से निर्बाध रूप से , एक बेदाग और  कुशल रिकॉर्ड के साथ हम सब  सेवारत  हैं।  सभी एएनएम को एक निश्चित फ्लैट वेतन मिलता है। हालाँकि हमारा  काम नियमित और स्थायी प्रकृति का है,  इसलिए यह सभी सामान्य भत्तों के साथ उचित वेतनमान में वेतन की  हकदार हैं । एएनएम के पद पर उनकी सेवाओं को नियमित न किया जाना और उनके संबंधित ज्वाइनिंग तिथियों से 'समान कार्य के लिए समान वेतन' के सिद्धांत के आधार पर उनके नियमित समकक्षों की तुलना में समान वेतन का भुगतान न  करना अवैध, दुर्भावनापूर्ण है। उपाध्यक्ष बबिता सिंह  ने कहा कि उनको नियमित और स्थायी प्रकृति की नौकरी पर नियुक्त करना और उन्हें संविदा कर्मचारी के रूप में मानना तथा पारिश्रमिक का न्यूनतम वेतन के सिद्धांत से भी कम भुगतान करना ​​ अन्यायपूर्ण है।  उनको  अपने नियमित समकक्षों के अनुरूप , जिन्हें उचित वेतन और भत्ते दिए जाते हैं, भुगतान न किया अनुचित श्रम अभ्यास है । साथ ही  भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 39 (डी) का उल्लंघन है और यह उनके श्रम का सरासर शोषण है।

 सचिव नन्ही देवी ने कहा कि  वे  प्रारंभिक कार्यभार ग्रहण तिथि से एएनएम के पद पर नियमितीकरण की हकदार हैं और सरकार को उन्हें "समान वेतन" के सिद्धांत पर वेतन के पूरे अंतर के साथ नियुक्ति की तिथि से अब तक  भुगतान प्राप्त करने की हकदार है। यही नहीं किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा भी प्रदत्त नही है । स्वास्थ्य और जीवन बीमा किसी कर्मचारी का बुनियादी हक है ,जिससे आच्छादित करना तो दूर ईएसआई तक की न्यूनतम सुविधा नही प्रदान की जा रही है।इसी प्रकार अन्य प्रचलित सुविधाओ से भी वंचित रखा जा रहा है। 

एआईसीसीटीयू ( ऐक्टू) के प्रदेश अध्यक्ष विजय विद्रोही ने कहा कि बहुत आश्चर्यजनक है कि केंद्र और राज्य की सरकारों ने पूरे स्वास्थ्य विभाग को प्रतिभा और श्रम की लूट के केंद्र में बदल दिया है। मातृत्व व शिशु सुरक्षा से लेकर कोविड जैसे महामारी से लड़ने में  अगले मोर्चे पर अपना सर्वोत्तम योगदान देकर पराजित करने वाली एएनएम बहने खुद ही सरकार की इसी शोषणकारी नीति के कारण रुग्ण हैं। उन्होंने कहा कि स्थाई करण और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी सरकार को करनी होगी । अन्यथा हमे व्यापक और बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

बाद में मुख्य मंत्री को संबोधित 6 सूत्रीय मांगपत्र शासन के मौजूद प्रतिनिधि को  प्रदेश की सभी संविदा एएनएम को स्थाई किए जाने , स्थाई करण की प्रक्रिया के पूर्ण होने तक वर्ष 2016 के माननीय उच्चतम न्यायालय और 2023 के केंद्रीय ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुरूप समान काम के  समान वेतन का  भुगतान स्थाई समकक्षो के बराबर करने ,तथा कार्य में नियोजन की तिथि से अब तक का उसी दर से एरियर अदा करने ,10 लाख का स्वास्थ्य बीमा और 50 लाख का जीवन बीमा गारंटी और स्वैक्षिक गृह जनपद में तैनाती और स्थानांतरण की सुविधा प्रदान करने के साथ माननीय उच्चतम न्यायतालय के आदेश के अनुपालन के क्रम में जेंडर सेंसटाईजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरसमेंट (जीएसकैस) का हर जिले में गठन किए जाने की मांगो का ज्ञापन सौप गया प्रदर्शन में रंजीत कुमारी, फुलमती, शशिकला,सविता पटेल, नीतू नरगिस,रिंकी देवी आदि ने हिस्सा लिया।

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