जब देश की रीढ़ बिजली और रेल पर निजीकरण का साया मंडराए, तो चुप रहना भी अपराध शिव गोपल मिश्रा
डा बेचन प्रसाद यादव
लखनऊ जब देश की रीढ़ बिजली और रेल पर निजीकरण का साया मंडराए, तो चुप रहना भी अपराध है।
कॉ. शिवगोपाल मिश्रा ने स्पष्ट रुप से कहा कि बिजली हो या रेल — देश की सेवा का सौदा नहीं होने दिया जायेगा और जिस दिन बिजली बिकेगी, उसी दिन कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेलें भी खड़ी हो जाएंगी। उनकी यह घोषणा जैसे ही सभागार में गूंजी, पूरा हॉल "कॉमरेड शिवगोपाल मिश्रा ज़िंदाबाद" के नारों से गूंज उठा।
लखनऊ स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया लॉ यूनिवर्सिटी के अंबेडकर सभागार में आयोजित विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश की महापंचायत में दीप प्रज्वलन के साथ संघर्ष का स्पष्ट संदेश देते हुए कॉ. शिवगोपाल मिश्रा ने दो टूक कहा कि जनसेवा बिकाऊ नहीं है और बिजली हो या रेल ज़रूरत है जनहित की, न कि मुनाफाखोरी की।
निजीकरण के खिलाफ उत्तर प्रदेश के आंदोलनरत बिजली कर्मचारियों को पूरा समर्थन देते हुए कॉ. शिवगोपाल मिश्रा ने साफ कहा कि हम कंधे से कंधा मिलाकर आपके साथ खड़े हैं। यह केवल विरोध नहीं, ये देश के भविष्य के लिए निर्णायक संघर्ष है और हर कर्मचारी की अब एक ही बुलंद आवाज़ है — जनसेवा किसी कीमत पर निजी हाथों में नहीं जाने दी जाएगी।
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