जिला कृषि रक्षा अधिकारी शंशाक ने बताया है कि कृषि निदेशालय उ०प० कृषि भवन लखनऊ (कृषि रक्षा अनुभाग) द्वारा कीट-रोग सर्वेक्षण की एडवाइजरी जारी - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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जिला कृषि रक्षा अधिकारी शंशाक ने बताया है कि कृषि निदेशालय उ०प० कृषि भवन लखनऊ (कृषि रक्षा अनुभाग) द्वारा कीट-रोग सर्वेक्षण की एडवाइजरी जारी

 


संत कबीर नगर  जिला कृषि रक्षा अधिकारी शंशाक ने बताया है कि कृषि निदेशालय उ०प० कृषि भवन लखनऊ (कृषि रक्षा अनुभाग) द्वारा कीट-रोग सर्वेक्षण की एडवाइजरी जारी की गयी है, उक्त एडवाइजरी आपको इस निर्देश के साथ प्रेषित है कि कृपया अपने क्षेत्र में उक्तानुसार प्रचार-प्रसार कर कीट-रोग का सर्वेक्षण कार्य करना सुनिश्चित करें।

उनहोंने बताया कि गेहूँ फसल में दीमक या गुजिया-खडी फसल में दीमक/ गुजिया नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ई०सी० 2.5 लीटर/हे० की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए। पाली गेरूई-इसके नियंत्रण हेतु प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई०सी० 500 एम०एल० प्रति हे० की दर से 600-700 ली० पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए। पत्ती धब्बा रोग-इस रोग के नियंत्रण हेतु मेन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० 2.0 किग्रा० प्रति हे0 की दर से 600-700 ली० पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।

उन्होंने सरसों फसल में माहू-माहू कीट पत्ती तना तथा पत्ती सहित पूरे पौधे से रस चूसता है इसके जैविक नियंत्रण हेतु एजाडिरेक्टिन 0.15 ई0सी0 2.5 लीटर प्रति हे0 की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए, इसके रसायनिक नियंत्रण हेतु प्रति हे0 डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ई०सी० की 1 लीटर मात्रा 600-700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, सफेद गेरूई एवं तुलासिता रोग-इसके नियंत्रण हेतु मेन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० अथवा जिनेब 75 प्रतिशत की 2.0 किग्रा0 अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिश डब्लू०पी० की 3.0 किग्रा० मात्रा किग्रा० प्रति हे0 की दर से 600-750 ली० पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए। मटर फसल में बुकनी रोग (पाउडरी मिल्डयू) इसके नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत की 2.0 किग्रा0 मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर 10-12 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिए।

आलू में पछेती झुलसा रोग जब तापमान 10-20 सेटीगेट के मध्य एवं आर्द्रता 80 प्रतिशत से अधिक होती है तो इस रोग के प्रकोप की सम्भावना बढ़ जाती है। तत्काल सिंचाई बन्द कर देनी चाहिए। प्रकोप के लक्षण दिखाई देने पर मेन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० अथवा जिनेब 75 प्रतिशत की 1.5-2.0 किग्रा० प्रति हे0 की दर से 500-600 ली0 पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए। गन्ना फसल में टॉप बोरर (चोटी बेधक) कीट-इस कीट के प्रकोप की स्थिति में ट्राइकोग्रामा किलोनिस के 50000-60000 अण्डे प्रति हे0 की दर से तीन बार प्रयोग करना चाहिए। इसके रासायनिक नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 1.5 लीटर प्रति हे0 की दर से 600-800 लीटर पानी में घोल छिड़काव करना चाहिए। शीत लहर एवं पाले से सुरक्षा-हल्की सिंचाई-जब भी पाला पडने की सम्भावना हो तो फसल में हल्की सिंचाई करने से 2 सेटीग्रेट से नीचे नहीं गिरेगा। और फसल को नुकसान से बचाया जा सकेगा। खेत में धुंआ करके अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए खेत में धुंआ पैदा करके जिससें तापमान जमाव बिन्दु से नीचे नहीं गिर पाता एवं फसल पाले से बच जाती है। उक्त के क्रम में सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि उपरोक्त सुझावों एवं संस्तुतियों को कृषकों के मध्य व्यापक प्रचार-प्रसार करना सुनिश्चित करें, एवं कृषि रक्षा अनुभाग द्वारा संचालित सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पीसीएसआरएस) कार्यक्रम अन्तर्गत मोबाइल नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 का प्रचार-प्रसार करते हुए फसलों के कीट-रोग सम्बधी समस्याओं को कृषकों द्वारा अधिक से अधिक प्रेषित कराना सुनिश्चित करें।


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