वर्तमान मौसम में हो रही हीट-वेव, लू और तेज हवाओं के रोकथाम प्रबन्धन के दृष्टिगत एडीएम ने जारी किया दिशा-निर्देश
संत कबीर नगर अपर जिलाधिकारी अभिनव रंजन श्रीवास्तव ने जनपद में अधिक गर्मी एवं लू के कारण होने वाली बीमारियों, ऑधी तूफान, तेज हवाओं के रोकथाम प्रबन्धन के दृष्टिग्रत ‘‘उत्तर प्रदेश स्टेट हीट एक्शन प्लान’’ तथा उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी दिशा निर्देश के क्रम में जनपदवासियों के सूचनार्थ एवं सुरक्षार्थ बताया है कि गर्मी के मौसम में तेज आंधी, आकाशीय बिजली, तेज हवाओं आदि से सुरक्षा एवं बचाव के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश राज्य आपद प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जनहित में जारी गाइउलाइन ‘‘क्या करें क्या ना करें’’ को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार इसका पालन किया जाए, जिससे उक्त आपदाओं से होने वाले जानमाल की हानि को रोका जा सके। अपर जिलाधिकारी ने जनपद में कार्यरत सभी फील्ड स्तर के अधिकारी/कर्मचारी/ग्राम प्रधान को समय-समय पर जारी होने वाली चेतावनी का व्यापक प्रचार-प्रसार कराये जाने के भी निर्देश दिये है।
उन्होंने बताया कि अधिक गर्मी एवं लू के कारण होने वाली बीमारियॉं (लू-तापघात) मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है- हीट एग्जॉस्चन एवं हीट स्ट्रोक। हीट एग्जॉस्चन के लक्षणों में अत्याधिक प्यास लगना, शरीर का तापमा बढना, मासपेशियों हैठन, जी मचलाना, सिर में भारीपन, चक्कर आना आदि शामिल है। इससे बचाव हेतु व्यक्ति को तुरन्त पंखे के नीचे तथा छायादान ठण्डे स्थान पर ले जाए, कपड़ों को ढीला करें, ओ0आर0एस0 का घोल पिलायें जिससे शरीर में पानी की कमी न हो, शरीर के तापमान की बार-बार जाचं करें और यदि इसके बावजूद भी स्थिति सामान्य न हो तो तुरन्त चिकित्सा केन्द्र ले जाए। इसी प्रकार हीट स्ट्रोक से प्रभावित की व्यक्ति में त्वचा एवं शरीर का लाल होना, उल्टी होना, चक्कर आना, उलझन आना, मानसिक असंतुलन सांस की समस्या, धड़कन तेज होना आदि जैसे लक्षण दिखाई पड़ते है। ऐसा लक्षण दिखने पर मरीज को तुरन्त स्वास्थ्य केन्द्र में ले जाए, अगर मरीज कुछ पीने की अवस्था में हो तो पानी या शीतल पेय पिलाये, ओ0आर0एस0 घोल एवं नीबू नमक का पानी पिलाये तथा मांस पेशियों पर हल्की मालिश करें।
उन्होंने बताया है कि लू से जन हानि भी हो सकती है। इसके असर को कम करने के लिए और लू से होने वाले किसी भी बीमारी के रोकथाम के लिए कड़ी धूप में बाहर न निकलें, जितनी बार हो सके पानी पिए, प्यास ना लगे तो भी पानी पिये, हल्के रंग के ढीले-ढीले सूती कपड़े पहने। धूप से बचने के लिए गमछा, टोपी, छाता, धूप का चश्मा, जूते और चप्पल का इस्तेमाल करें। सफर में अपने साथ पानी रखें। शराब, चाय, कॉफी, जैसे पेय पदार्थों का इस्तेमाल ना करें, यह शरीर को निर्जलित कर सकते है। अगर आपका काम बाहर का है तो टोपी, गमछा या छाते का इस्तेमाल जरूर करें और गीले कपड़े को अपने चेहरे, सिर और गर्दन पर रखें। अगर आपकी तबीयत ठीक न लगे या चक्कर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, घर में बना पेय पदार्थ जैसे कि लस्सी, नमक, चीनी का घोल, नींबू पानी, छाछ,़ आम का पना इत्यादि का सेवन करें तथा जानवरों को छांव में रखे और उन्हें खूब पानी पीने को दें, अपने घर को ठंडा रखें, पर्दे शटर आदि का इस्तेमाल करें। रात में खिड़कियां खुली रखें और फैन, ढीले कपड़े का उपयोग करें। ठंडे पानी से बार-बार नहाए। उन्होंने बताया कि धूप में खड़े वाहनों में बच्चों एवं पालतू जानवरों को ना छोड़े, खाना बनाते समय कमरे के दरवाजे की खिड़की एवं दरवाजे खुले रखें, जिससे हवा का आना-जाना बना रहे, नशीले पदार्थ शराब तथा अल्कोहल के सेवन से बचें, उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचे, बासी भोजन ना करें, खिड़की को रिफ्लेक्टर जैसे अल्मुनियम पन्नी, गत्ता इत्यादि से ढक कर रखें ताकि बाहर की गर्मी को अंदर आने से रोका जा सके। उन खिड़कियों व दरवाजों पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवा आती है काले पर्दे लगाकर रखना चाहिए। स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सुने और आगामी तापमान में होने वाली परिवर्तन के प्रति सतर्क रहे,ं आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण ले, बच्चों व पालतू जानवरों को कभी भी बंद वाहन में अकेला ना छोड़े। जहां तक संभव हो घर में ही रहे तथा धूप के संपर्क से बचें, सूर्य के ताप से बचने के लिए जहां तक संभव हो घर की निचली मंजिल पर रहे तथा संतुलित हल्का व नियमित भोजन करें, घर से बाहर अपने शरीर व सिर को कपड़े या टोपी से ढक कर रखें।
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