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मा0 विधायक धनघटा की अध्यक्षता में जल शक्ति अभियान के अंतर्गत एक दिवसीय किसान मेला एवं गोष्टी का हुआ आयोजन

 


संत कबीर नगर  मा0 विधायक श्री गणेश चंद्र चौहान ने कृषि विज्ञान केंद्र, में एक दिवसीय किसान मेला एवं गोष्ठी का फीता काटकर उद्घाटन किया।कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार सिंह ने किसानो का स्वागत करते हुए केंद्र की गतिविधियों से अवगत कराया। माननीय विधायक जी का स्वागत केंद्र के अध्यक्ष डॉक्टर अरविंद सिंह एवं केंद्र के वैज्ञानिको तथा प्रगति शील कृषक सुरेन्द्र राय, भानु प्रताप चतुर्वेदी  जी ने किया मननीय विधायक जी के सरकार की मंशा के अनुसार किसान भाईयों से जल जीवन अभियान के अंतर्गत जल ही जीवन है एवं सुझ्म सिचाई से अधिक उत्पादन की तकनीक को अपनाने पर जोर दिया। प्रगति शील कृषक सुरेंद्र राय ने प्राकृति खेती पर जोर दिया। प्रगतिशील कृषक प्रसाद भानु प्रताप चतुर्वेदी जी ने गन्ने की खेती एव केले की खेती कर लाभ लेने के वारे में बताया। कार्यक्रम में पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आर के निगम ने पशुओं को रोग बीमारी से बचाने के बारे में बताया।कार्यक्रम में आकर्षण का बिंदु उद्यान विभाग द्वारा लगाए गए स्टाल इफको द्वार लगाए गए स्टॉल, पशुपालन विभाग के स्टॉल तथा सीता महिला स्वयं सहायता  समूह ग्राम कोहोलुया खलीलाबाद के स्टाल पर मशरूम के उत्पाद एवं मोमबत्ती आदि रहे। इसी क्रम में लक्ष्मी स्वंय सहायता समूह ग्राम मीऊघाट पोस्ट धनघटा के स्टॉल पर लेमनग्रास ऑयल एवं उसकी खेती की जा रही है और एन आर एल एम समूह की महिलाओ ने प्रतिभाग किया। डॉक्टर सिंह ने बताया की भारत में आज भी करोड़ों लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। पानी की कमी से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में जनता को सरकार द्वारा भेजे गए पानी के टैंक पर ही निर्भर रहना पड़ता हैं। बहुत सारे राज्यों में इस तरह की समस्या आने पर केंद्र सरकार ने मुद्दे की महत्ता को समझते हुए एक नयी योजना की शुरुआत की हैं, जिसका नाम जल शक्ति अभियान ‘‘हर घर जल योजना’’  हैं। कार्यक्रम में उपस्थित केंद्र के वैज्ञानिक पशुपालन डॉक्टर संदीप सिंह कश्यप ने किसानो को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्षा के जल का संचयन कर उसे अतिरिक्त रूप से सिंचाई के जल के रूप में प्रयोग करने से जहां एक तरफ़ वर्षा जल का उपयोग किया जा सकता है वहीं दूसरी तरफ़ संचयित जल में मत्स्य पालन कर आय सृजित किया जा सकता है। इस अवसर पर केंद्र के कृषि अभियंत्रण की वैज्ञानिक डॉक्टर देवेश कुमार ने बताया की ने बताया कि असंक्रमित पानी का पुनरू उपयोग योजना की मुख्य विशेषता यह है कि यह शहरी क्षेत्रों को ध्यान में रखकर तय किया गया हैं। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र और अन्य विभागों को साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा जल के पुनर्चक्रण (रिसायकलिंग) प्लांट पर काम करना होगा। इस तरह उपचारित पानी हानिकारक भी नहीं होगा और यह घरों तक सीधे पाइपलाइन द्वारा पहुंचाया जाएगा।  केंद्र के कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉक्टर राघवेंद्र विक्रम सिंह ने उन्हें बिना जल बर्बाद किये होने वाली आधुनिक सिंचाई तकनीक से भी अवगत करवाया जाएगा। पूरी तरह जलाशयों पर निर्भर रहने के स्थान पर उन्हें वर्ष भर के लिए जल का संरक्षण करना और उसका सिंचाई में अधिकाधिक उपयोग करने की तकनीक भी सिखाई जायेगी। वैज्ञानिक कृषि वानिकी  डॉक्टर तरुन  कुमार और  डॉक्टर रत्नाकर पांडे  ने कहा यदि जल्द ही पानी को प्रदूषित होने से नहीं रोका गया तो जल के प्राकृतिक स्रोत समाप्त हो जायेंगे। इस योजना को कई भागों में विभाजित किया गया हैं जिससे कि पानी खराब होने से रोका जा सके और जल संरक्षण पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया जा सके। इस अवसर पर 300 कृषक/ कृषक महिलाओ ने प्रतिभाग किया।


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