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मानसिक रोगियों को दवा से ज्यादा प्यार की जरूरत : सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण


 रिपोर्ट मोहम्मद सलमान

गोंडा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर बीते सोमवार को सीएमओ कार्यालय के सभागार में विधिक साक्षरता शिविर एवं मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता कार्यशाला का आयोजन किया गया | इस दौरान वक्ताओं ने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरुकता लाने की सलाह दी | कार्यशाला की अध्यक्षता सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विश्वजीत सिंह ने की |

प्राधिकरण के सचिव विश्वजीत सिंह ने कहा कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पूरे विश्व में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरुकता लाने के लिए प्रति वर्ष 10 अक्टूबर को मनाया जाता है | उन्होंने मानसिक रूप से व्यथित व्यक्तियों को सामान्य व्यक्तियों के समान विधिक अधिकारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक बीमारी होती है, जो उपचार योग्य है | मानसिक रूप से व्यथित व्यक्तियों के परिवारीजनों को उनके प्रति सद्भावना और सेवा की भावना रखते हुए उनका ध्यान रखना चाहिए तथा मानसिक रोग विशेषज्ञ की देखरेख में उनका समुचित उपचार कराना चाहिए | राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मानसिक बीमारियों का इलाज पूर्णतया निःशुल्क किया जाता है |

इसके साथ ही समाज के हर व्यक्ति को मानसिक रोगियों की सेवा करने हेतु प्रेरित करते सचिव ने कहा कि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों को स्नेह की दृष्टि से देखने तथा उनके मान-सम्मान और संपत्ति की रक्षा के लिए विधिक अधिकारों का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए | जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य ही लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना है |


*धीरे-धीरे पनपती है मानसिक बीमारी* –

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने बताया कि मानसिक बीमारी धीरे-धीरे पनपती है | यदि व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आने लगे, तो यह समझ लेना चाहिए कि उसे कोई मानसिक परेशानी है | उन्होंने बताया कि मानसिक बीमारियों से बचाव के प्रति समाज में जागरुकता लाने और पीड़ित व्यक्ति बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जनपद में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित है | इसके अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम बनायी गयी है |


एसीएमओ व एनसीडी विभाग के नोडल डॉ आदित्य वर्मा ने बताया कि जिला चिकित्सालय के कमरा नंबर 33 में सोमवार से शुक्रवार तक मानसिक रोग विभाग की ओपीडी संचालित कर लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी निःशुल्क चिकित्सा सेवा उपलब्ध करायी जा रही है |


वहीं मनो चिकित्सक डॉ नुपुर पॉल ने बताया कि आज के भाग-दौड़ भरी जीवनशैली में संतुलित एवं पौष्टिक आहार, निर्बाध 6-8 घंटे की नींद, नियमित व्यायाम , सकारात्मक दृष्टिकोण, प्रतिदिन कृतज्ञता का अभ्यास- जो हमारे पास है उसके लिए आभारी रहना तथा ऐसी गतिविधियों में संलग्न होना, जो मस्तिष्क को उत्तेजित करती हैं जैसे- किताबें पढ़ना, वर्ग पहेली को हल करना, पहेलियाँ इत्यादि तथा मोबाइल फोन और टीवी का उपयोग कम से कम करने और परिवार, दोस्तों एवं रिश्तेदारों के साथ मेलजोल बढ़ाकर व्यक्ति अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है | कार्यशाला में मनोसामाजिक कार्यकर्ता उमेश भारद्वाज, पीआरओ प्रवीण चन्द्र पाण्डेय, सुमित श्रीवास्तव, सरिता तिवारी, पवन चौहान, तुषार, सौरभ, निशा व शैलेश सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे

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