नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद आख़िरी नबी हैं - कारी अनस
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश मोहल्ला इस्लामचक में जलसा-ए-ग़ौसुलवरा का आयोजन हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत अली अहमद अत्तारी ने की। संचालन हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने किया।
अध्यक्षता करते हुए कारी मो. अनस रज़वी ने कहा कि नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आख़िरी नबी हैं। आपके बाद अल्लाह ने नुबूवत का दरवाजा बंद फरमा दिया। अब कयामत तक कोई दूसरा नबी नहीं पैदा होगा। अगर कोई मुमकिन भी तसव्वुर करे तो दायरा-ए-इस्लाम से ख़ारिज है। नबी-ए-पाक ने खुद इरशाद फरमाया मैं आख़िरी नबी हूं, मेरे बाद कोई नबी नहीं पैदा होगा। इस बात की शहादत खुद क़ुरआन-ए-पाक में मौजूद है। साथ ही नबी-ए-पाक का इरशाद है कि मैं आख़िरी नबी हूं और तुम आखिरी उम्मत हो। अब अगर कोई नबी-ए-पाक का कलमा पढ़ने वाला अपने आपको नबी होने का दावा करे तो उससे बड़ा कोई कज़्ज़ाब, मक्कार और झूठा नहीं। मुसलमानों ने हर दौर में नुबूवत के झूठे दावेदारों को मुंह तोड़ जवाब दिया है और हमेशा देते रहेंगे।
मुख्य वक्ता नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा कि ‘औलिया किराम’ ने अपना पूरा जीवन अल्लाह, रसूल और इंसानियत की सेवा में गुजार कर दीन और दुनिया दोनों में अपना नाम रौशन किया। उन्हीं में एक अज़ीम शख़्सियत ग़ौसे आज़म हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की है। जिन्होंने मख़्लूक को शरीअत, तरीकत, मारफ़त व हक़ीक़त का जाम पिलाया। इंसानों को तौहीद व राहे हक़ पर चलने का पैग़ाम दिया। अल्लाह के वलियों में सबसे ऊंचा मरतबा हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी यानी ग़ौसे आज़म का है। हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी ने क़ादरिया सूफी परंपरा की शुरूआत की। आपका बड़ा रुतबा है। आप सारे वलियों के
सरदार हैं। आपके दर से कोई मायूस नहीं जाता।
अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान व तरक्की की दुआ मांगी गई। जलसे में अयान खान, अमन खान, सैफ खान, तौफीक खान, मो. ज़ैद, मो. हंजला, हसन अली आदि ने शिरकत की।
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