जाब कार्ड जब नहीं बना तो नरेगा में किस बेसिस पर जाते हैं मजदूर काम करने के लिए - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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जाब कार्ड जब नहीं बना तो नरेगा में किस बेसिस पर जाते हैं मजदूर काम करने के लिए


सन्त कबीर नगर के मेहदावल विधानसभा क्षेत्र के साथा ग्राम सभा अंतर्गत बरईपार का है यह मामला जोकि सोशल ऑडिट में मै न तो सिगरेटरी महोदय उपलब्ध है न ही ग्राम प्रधान उपलब्ध है पारदर्शिता से दूर रहे ग्राम प्रधान एवं सेक्रेटरी ।

मजदूर का कहना है कि काम करने जाते हैं और हमें हमारा मजदूरी मिल जाता है लेकिन वही ग्राम पंचायत बरईपार के लोगों का कहना है कि मजदूरी तो मिल जाता है लेकिन जॉब कार्ड नहीं है किस बेसिस में ग्राम प्रधान एवं अन्य अधिकारी नरेगा का मजदूरी किस बेसिस पर मजदूरी देने का कार्य करते हैं सोचने वाली बात है कि नरेगा मजदूर की जॉब कार्ड उपलब्ध नहीं है वही मजदूरों का कहना है कि मजदूरी तो मिल जाती है लेकिन जॉब कार्ड अभी तक नहीं बना है किस तरह से नरेगा मजदूरों को मजदूरी दी जाती है यह तो सोचने पर मजबूर कर देता है यहां मजदूरी को दर्शाया जाता है और लोगों को गुमराह करके उनसे मनमाने तरीके से वसूली किया जाता है की अगर व्यक्ति 10 दिन मजदूरी किया है तो वही ग्राम पंचायत बरईपार में लोगों से 100 दिन का कार्य कागजों में दर्शाया जाता है और बाकी पैसों को प्रधान द्वारा बंदरबांट किया जाता है भुगतान कर लिया जाता है यहां का है यह है हकीकत ग्राम सभा बरईपार का जोकि मजदूरों को सिर्फ 10 दिन की मजदूरी दी जाती है बाकी 90 दिन की मजदूरी को जप्त कर लिया जाता है लेकिन फिर भी काम करने मजदूर जाते हैं उनको मजदूरी दिया जाता है लेकिन उनका जॉब कार्ड बना ही नहीं है इसमें उच्च अधिकारियों से मिलीभगत कर यह कारनामा किया जाता है जिसे आम जनमानस को भारी समस्या का समाधान उठाना पड़ता है । जब नरेगा कार्ड धारकों का जॉब कार्ड ही नहीं है तो किस कारण से नरेगा मजदूरों को मजदूरी दिया जाता है यानी कुछ ना कुछ तो प्रधान द्वारा हेरा फेरी का कार्य किया जाता है जो की सरकार द्वारा चलाए गए नियम कानून को पानी पानी किया जा रहा है ऐसे प्रधानों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का प्रावधान रखना चाहिए ग्राम पंचायत बरईपार का यह मामला है विकासखंड साथा ब्लाक के अंतर्गत आता है देखना यह है कि सरकार के द्वारा चलाए गए अभियान को कब तक पारदर्शिता के अनुसार पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए हितकारी कब बनेगा सरकार द्वारा मानना यह है कि जो निम्न वर्ग एवं मजदूर वर्ग के लोगों को रोजगार मुहैया करवाती है वही ग्राम सभा बरईपार में अनियमितता का उदाहरण देखा जा सकता है 

ग्राम सभा के लोगों को पता ही नहीं है कि सोशल ऑडिट क्या होती है जोकि 3 दिन से सोशल ऑडिट के लोग जांच पड़ताल के लिए आते हैं उसके बावजूद भी ग्राम वासियों को नहीं पता होता है की सोशल ऑडिट क्या होता है पूछने पर ग्रामवासी कहते हैं कि हमें तो पता ही नहीं था की क्या हो रहा है यानी सोशल ऑडिट के बारे में लोगों को नहीं की जानकारी प्रधान के माध्यम से बुलाए गए लोगों को सिर्फ लोगों को एकत्रित करना था तथा उनको जानकारी नहीं दी है कि सोशल ऑडिट होने वाला है और सोशल आईडी क्या होता है सोशल ऑडिट में क्या पारदर्शिता होती है और क्या दर्शाया जाता है लोगों को नहीं था ज्ञात जिससे ग्राम वासियों ने यह कहा कि हमें नहीं पता है होता है क्या सोशल ऑडिट इससे स्पष्ट होता है कि ग्राम प्रधान के कारनामों को छुपाने का कार्य किया जा रहा है । तथा ग्राम प्रधान के खिलाओ उचित कार्रवाई करने की कृपा करें उच्च अधिकारी ।


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