हरितालिका तीज पर उपहार भेजने की तैयारियां सीमा भारद्वाज - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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हरितालिका तीज पर उपहार भेजने की तैयारियां सीमा भारद्वाज

 


गोरखपुर, उत्तर प्रदेश भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में किया जाने वाला हरितालिका तीज व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। पर्व पर सुहागिनों द्वारा अनुष्ठान की परंपरा है।  भगवान शिव व पार्वती की आराधना करके निराजल व्रत रहकर अखंड सुहाग व पति के दीर्घायु की कामना होगी। संपूर्ण श्रृंगार से सुसज्जित होकर कथा श्रवण, पूजन व दान-पुण्य का महत्व है। पर्व के मद्देनजर तैयारियां जोरों पर है। सुख दे-वर दे के साथ सुख, समृद्धि, सौभाग्य की मंगल कामना करेंगी।

गौरी-शिव पूजन, प्रतिमा स्थापना, एकाग्रमन से पूजन, खरना आदि से पूजन का विशेष महत्व है। पर्व पर फल, मिष्ठान, खीरा, दही, चिउड़ा, पान आदि का सेवन कर व्रत करने का प्रावधान है। संकल्प शक्ति की प्रतीक और अखंड सौभाग्य की कामना का परम पावन व्रत हरितालिका तीज को हरियाली तीज भी कहा जाता है। नारी के सौभाग्य की रक्षा करने वाले इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियां अपने अक्षय सौभाग्य और सुख की लालसा हेतु श्रद्धा, लगन और विश्वास के साथ करती है। पर्व का पौराणिक महत्व  

हस्त नक्षत्र में सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनकर, मेंहदी लगाकर, सोलह शृंगार करती हैं। शुभ मुहूर्त में भगवान शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन करके व्रत कथा सुना जाता है। मां को सुहाग समस्त सामग्री चढ़ाने की परंपरा है। आचार्य दयाशंकर पांडेय के अनुसार परम पावन व्रत हरितालिका तीज पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। जो सभी पापों और सांसारिक तापों को हरने वाले व्रत को विधिपूर्वक करता है, उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भोलेनाथ करते हैं।पावन व्रत को सबसे पहले राजा हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया था, उनके तप और आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। तभी से इस व्रत का विधान है। चतुर्थी में पारण करने का विवरण मिलता है।

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उपहार को लेकर उत्साह

-पर्व पर बहन बेटियों के वहां तीज पर उपहार भेजने की अनुपम परंपरा सदियों से चली आ रही है। महिलाओं को मायका व ससुराल से आने वाले उपहार को लेकर पूरा उत्साह है। जिन घरों हाल में ही शादियां हुई है वहां विधिवत रस्म आदायगी की तैयारी की जा रही है। बेटी के ससुराल व बहू के मायके में तीज की रस्म निभाकर सुख, समृद्धि, सौभाग्य की मंगल कामना होगी। घरों में उपहार की बात हो रही है।   

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30 अगस्त को रखा जाएगा व्रत

हरितालिका तीज व्रत 30 अगस्त को किया जाएगा। इस तीज का सुहागिन महिलाओं मे बड़ा ही महत्व है। ऐसी मान्यता है कि, देवी पार्वती ने इस व्रत की शुरुआत की थी। सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। वहीं, कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती है। इस व्रत में व्रती महिलाएं अन्न जल तक ग्रहण नहीं करती हैं। 

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हरतालिका तीज का महत्व

इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और कुंवारी कन्याएं इस व्रत को मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए रखती है। मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का पुनर्मिलन हुआ था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए बहुत तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

 व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद करना शुभ माना जाता है। पूजा के लिए भगवान शिव माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा रखी जाती है। पूजा से पहले स्थान को अच्छे से साफ सफाई करके उसे फूलों से सजा लें इसके बाद वहां एक चौकी रखें। इसके बाद इसके ऊपर केले के पत्ते रखें, भगवान शिव माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा को इसपर स्थापित कर दें। इसके बाद तीनों की पूजा अर्चना करें। सर्व प्रथम शिव पार्वती जी का ध्यान करें, फिर जल चढ़ाये पंचामृत से स्नान कराये, फिर जल से स्नान कराये और माता पार्वती के समक्ष सुहाग की सारी वस्तुएं चढ़ाएं और भगवान शिव को धोती और अंगोछा अर्पित करें। शिव जी को जनेऊ पहनाये, दोनों को चन्दन लगाए अक्षत पुष्प माला बेलपत्र शमी पत्र सिंदूर चढ़ाये,धूप दीप दिखाए नैवद्य फल मीठा चढ़ाये कुछ दक्षिणा चढ़ाये पुष्पांजलि दे।

फिर तीज की कथा श्रवण (सुने )और फिर आरती करें। सबसे आखिर में इन चीजों को किसी ब्राह्मण को दान कर दें। अतः पुनः अगले दिन माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं, और उन्हें मीठे का भोग लगाकर अपना व्रत खोल लें।

हरतालिका तीज व्रत के नियम,

 सोच समझकर ही इस व्रत को रखना चाहिए। बीमारी आदि के कारण यदि आप व्रत न रख पाएं तो आपकी जगह आपके पति भी इस व्रत को कर सकते हैं। इस दिन रात में जागकर शिव पार्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए। दरअसल, इस व्रत में आठो प्रहर की पूजा करना शुभ माना जाता है।

हरितालिका तीज की शाम की पूजा के लिए 3 बजकर 49 मिनट से लेकर 7 बजकर 23 मिनट तक का समय उत्तम रहेगा। इसके अलावा आप चाहें तो प्रदोष काल में 6 बजकर 34 मिनट से 8 बजकर 50 मिनट पर भी पूजा कर सकते हैं।

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