जिसके हुज़ूर मौला उसके अली भी मौला - मुफ्ती नईम खान मिस्बाही - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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जिसके हुज़ूर मौला उसके अली भी मौला - मुफ्ती नईम खान मिस्बाही

 


कानपुर, तिलक नगर स्थित बरकाती ग्राउंड में 46वां सालाना प्रोग्राम पैग़ामे शहीद ए आज़म का आयोजन मुस्लिम वैल्फेयर एसोसिएशन कमेटी की जानिब से किया गया है जिसकी मंगलवार को तीसरी महफ़िल थी। प्रोग्राम का आग़ाज़ हाफिज़ फज़ले अज़ीम रहमानी ने किया संचालन तालिब बेग बरकाती ने किया।

उन्नाव से आये मौलाना नईम खान मिस्बाही साहब ने तकरीर की और हज़रत अली की शान ब्यान फरमाई।मौलाना साहब ने बताया हज़रत अली का जन्म सऊदी अरब में स्थित मक्का शहर में हुआ था, जो कि इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल हैं। यह पैगम्बर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चचेरे भाई और दामाद थे। उनके माता का नाम फातिमा बिन्त असद और पिता का नाम अबु तालिब था। हज़रत अली को पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है, क्योंकि वह आम लोगों में विज्ञान से जुड़ी जानकारियों को बहुत ही अलग और रोचक ढंग से पहुंचाते थे। हज़रत अली को मुसलमानों के चौथे खलीफा के रूप में जाना जाता हैं।

 उसके बावजूद उन्होंने अपने कातिल को माफ करने की बात कही। कहा जाता है कि हज़रत अली अपने कातिल को जानते थे उसके बावजूद उन्होंने सुबह की नमाज़ के लिए उसे उठाया और नमाज़ में शामिल किया था। इसके बाद कानपुर से आये मौलाना मुश्ताक मुशाहिदी ने तकरीर की और बीबी फातिमा की अज़मत ब्यान करते हुये कहा उम्मुल मोमेनीन हज़रत बीबी खदीजा रदियल्लाहू अन्हा की आखिरी निशानी हज़रत खातूने जन्नत बीबी फातिमा हैं आप 20 जमादिस्सानी को ऐलाने नुबुवत से 5 साल पहले मक्का में पैदा हुई आप तमाम जन्नत की औरतो की सरदार हैं।

अल्लाह के रसूल जब हिज़रत फरमा कर मदीना तशरीफ़ आये उस वक्त आप कुवारी थी, 2 हिजरी में अल्लाह के रसूल ने अपनी चहेती बेटी की शादी हज़रत अली शेरे खुदा के साथ कर दी, हज़रत रसूले खुदा के पर्दा फरमाने के बाद आप जुदाई का ग़म बर्दाश्त ना कर सकी और 6 महीने बाद ही 29 साल की उम्र में 3 रमज़ान 11 हिजरी को मदीना शरीफ में इन्तिकाल फरमा गई. आपकी वसीयत के मुताबिक आपको रात में जन्नतुल ब़की में दफ्न कर दिया गया।इसके बाद सलातो सलाम व दुआ पर प्रोग्राम का इख्तेताम हुआ, रज़ा ए मुस्तफा कमेटी की जानिब से आये हुये सभी अकीदतमंदो को चाय पिलाई गई। मुख्य रूप से शारिक बेग, सैय्यद इस्राफील, अब्दुल वहाब, कामरेड रज़्ज़ाक, आकिल बेग, आसिफ बेग, मसरुर, अजमल बेग, रईस अहमद, वासिक बेग, ज़िया, रुमान, वामिक, दानिश, आदि लोग मौजूद रहे।


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