ईद उल अज़हा (कुर्बानी) के जानवर को खरीदते वक़्त अच्छी तरह जाँच परख ले:- फरमान मियां - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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ईद उल अज़हा (कुर्बानी) के जानवर को खरीदते वक़्त अच्छी तरह जाँच परख ले:- फरमान मियां

 


बरेली, उत्तर प्रदेश।दरगाह आला हज़रत का 105 साल पुराना संगठन जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय महासचिव व क़ाज़ी-ए-हिंदुस्तान मुफ़्ती असजद रज़ा क़ादरी (असजद मियां) के दामाद फरमान हसन खान (फरमान मियां) ने कहा कि इस बार हिंदुस्तान में ईद उल अज़हा का त्योहार 10 जुलाई को मनाया जाएगा  ईद-उल-अज़हा में मुसलमान तीन दिन अल्लाह की राह में कुर्बानी करते हैं। कुर्बानी करना हर मालिके निसाब (शरई मालदार) मुसलमान पर वाजिब है। उन्होंने कहा कि अगर हर साल मालिके निसाब है तो हर साल अपने नाम से कुर्बानी करना वाजिब है और अगर दूसरे की तरफ से भी करना चाहता हो तो उसके लिए दूसरी कुर्बानी का इंतजाम करे। साथ ही कुर्बानी का जानवर खरीदते वक़्त उसको अच्छी तरह जाँच परख ले कि जानवर में कोई ऐब न हो। यह त्योहार पैगंबर हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व पैंगबर हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी के लिए याद किया जाता है। अल्लाह कुरआन में इरशाद फरमाता है कि "ऐ महबूब अपने रब के लिए नमाज पढ़ों और कुर्बानी करो।"  दूसरी हदीस में पैगंबर-ए-आज़म ने फरमाया कि जिस पर कुर्बानी वाजिब हो और वह कुर्बानी न करें । वह हमारी ईदगाहों के करीब न आये।

कुर्बानी के लिए तीन दिन है खास

इस्लामी माह जिलहिज्जा की 10,11, 12  तारीख कुर्बानी के लिए खास दिन है। कुर्बानी में भेड़, बकरा-बकरी, दुम्बा सिर्फ एक आदमी की तरफ से एक जानवर होना चाहिए और बड़े जानवर में सात लोग शिरकत कर सकते हैं। कुर्बानी के बाद उसके गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। शरीयत के अनुसार गोश्त का एक हिस्सा गरीबों में दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और तीसरा हिस्सा अपने घर वालों के  लिए रखने का हुक़्म है।

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