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स्वतंत्रता सेनानी डॉ.दरबारी लाल अस्थाना की जयंती कुष्ठाश्रम में मनी

 


लखनऊ। वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी डॉ.दरबारी लाल अस्थाना की जयंती रविवार 24 जुलाई को मोहनलालगंज, बिंदौरा स्थित सेवा समर्पण संस्थान के कुष्ठ आश्रम में मनायी गई। इस अवसर पर डॉ.दरबारी लाल अस्थाना की पौत्र वधु रत्ना ने दैनिक उपयोग की दवाएं भेंट की। इसके साथ ही फल और पौष्टिक भोजन हनुमत सेवा संस्थान की ओर से भेंट किया गया।


हनुमत सेवा समिति की ओर से सीमा और सुर्वणा की देखरेख में संचालित सेवा प्रकल्प आहार के तहत हर माह की अमावस्या पर मोहनलालगंज के कुष्ठ पीड़ितों और पीजीआई में तीमारदारों के लिए निशुल्क भोजन वितरण किया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष विवेक पाण्डेय ने बताया कि इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 9161519018 भी जारी की गई है। रविवार को सेवा समर्पण कुष्ठ आश्रम में रहने वाले रमा शंकर, कस्तूरी देवी, चंदन कुमार, महेंद्र मंडल, द्रौपदी, प्रेमलता, तनुज, राम बालकी, नीतीश, साधना देवी, संतोष का प्रतिनिधित्व करते हुए दयालु ने समाज के सम्पन्न वर्गों से आगृह किया कि वह अपने आसपास जरूतमंदों की यथासंभव मदद जरूर करें।


गोमती नगर विनय खंड स्थित भारतीयम् भवन में पुत्रवधु शुभ्रा की उपस्थिति में स्मृति सभा हुई। उसमें उन्होंने बताया कि डॉ.दरबारी लाल का जन्म 24 जुलाई 1905 को आगरा में हुआ था। अंग्रेंज़ी हुकुमत के दौरान राजकीय कॉलेज आगरा में बहिष्कार आन्दोलन से वह राष्ट्रसेवा के क्षेत्र में सक्रीय हुए। वृन्दावन के प्रेम महाविद्यालय में उन्होंने ग्रामोत्थान का कार्य किया और ब्रज के अनेक गांवों का दौरा कर आम लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगायी। शान्ति निकेतन में अध्ययन के दौरान गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें एक कलम भी आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया था। युसुफ मेहर अली द्वारा संचालित अखिल भारतीय युवक आन्दोलन के संचालन में भी वह सक्रीय रहे। सिंधी समाज के आध्यात्मिक गुरु श्रीयुत टी.एल.वासवानी का भी उन्हें सानिध्य मिला। साल 1930 में वृंदावन के प्रेम महाविद्यालय के छात्रों के साथ जब वह सत्याग्रह आन्दोलन कर रहे थे तब उन्हें 9सी-12 धारा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। 4 अगस्त 1930 को उनको छह महीने के कठोर कारावास का दंड सुनाया गया। 11 अक्टूबर 1930 में उन्हें मथुरा जेल से सीतापुर जेल में ट्रांसफर कर दिया गया। डॉ.दरबारी लाल उत्तर प्रदेश कांग्रेंस कमेटी के सदस्य भी रहे। उन्होंने शक्ति आश्रम का संचालन भी किया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद उन्होंने देहरादून में रहकर मेडिकल प्रैक्टिस की। 1952-53 में वह देहरादून की नगर कांग्रेस कमेटी के प्रधान मंत्री रहे। इसके बाद वह लखनऊ आ गए और 1954 से उन्होंने उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि लखनऊ केन्द्र के संचालक के रूप में लम्बे समय तक कार्य किया। वह उत्तर प्रदेश हरिजन सेवक संघ की कार्यकारणी और संयुक्त सदाचार समिति कार्यकारिणी के भी सदस्य रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें 15 अगस्त 1972 को ताम्रपत्र से सम्मानित किया था। 3 मार्च 1985 को 80 वर्ष की आयु में डॉ.दरबारी लाल का स्वर्गवास हो गया। वर्तमान में फेसबुक पर डॉ.दरबारी लाल अस्थाना लिंक के माध्यम से राष्ट्रीयता और सामाजिक दायित्वों के प्रति लोगों को जागरुक किया जा रहा है।

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