जकात" जकात इस्लाम का अहम फर्ज है,:सय्यद अबूजर ज़ैदी
कानपुर,सय्यद अबूजर ज़ैदी नायब सज्जादा नशीन शाह गुलाम रसूल रसूल नुमा हज़रत दादा मियां र अ बेकनगंज कानपुर ने बताया कि मोहम्मद स अ वा ने कहा है जब तुमने अपने माल की जकात दे दी तो तुमने अपने माल का वो हक अदा कर दिया जो तुम पर फर्ज है जकात मुसलमानों इंसानों यातीमो गरीबो रिश्तेदारों के लिऐ बेहतरीन मदद है जकात हर मुसलमान का अपना फर्ज है वो खुद समझा कर जान कर देख भाल के अदा करे ना के आंख बन्द करके किसी तनजीम को दे और अगर किसी तनजीम को दे तो सवाल करे के उसकी जकात कहा और कैसे लगाई गई और जो तमजीम जवाब देह ना हो तो ऐसी तमजीम को जकात ना दें जकात अदा करने का अफजल तरीका खुद ढूंढ कर जरूरत मंडो को दें जदआतर लोग अपनी जकात आंख बंद करके कहीं भी किसी को भी दे देते हैं ऐसा करने से इस्लाम मे जो जकात का मकसद है पूरा नहीं हो पाता जिस कारण वाजा से जकात की जमा खोरी होती और जरूरत मंद लोगो तक जकात नही पहोंच पाती जकात की जामा खोरी करने कराने वालों से बचें जकात सही हाथो में दें!
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