शब-ए-मेराज में हुई खूब इबादत व तिलावत
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश मस्जिदों व घरों में शब-ए-मेराजुन्नबी पर खूब इबादत की गई। सलातुत तस्बीह व अन्य नफिल नमाज़ें पढ़ी गईं। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। मस्जिदों व घरों में रातभर अल्लाह व नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जिक्र होता रहा। दरूदो सलाम का नज़राना पेश किया गया। उलमा-ए-किराम ने कहा कि यह वही मुबारक रात है जब नबी-ए-पाक सात आसमानों के पार अर्श-ए-आज़म से आगे ला मकां में अल्लाह के दीदार व मुलाकात से सरफ़राज हुए और तोहफे में पांच वक्त की नमाज़ मिली। ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के युवाओं ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में खाना व पानी बांटा।
मदरसा क़ादरिया तजवीदुल क़ुरआन लिल बनात अलहदादपुर में शब-ए-मेराज के मौके पर महिलाओं की महफिल हुई। आलिमा महजबीन ख़ां सुल्तानी ने कहा कि शब-ए-मेराज का जिक्र क़ुरआन व हदीस की बेशुमार किताबों में कसरत के साथ है। शब-ए-मेराज का वाकया नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अज़ीम मोजज़ा (चमत्कार) है। अल्लाह ने दुनिया में कमोबेश सवा लाख पैग़ंबरों को भेजा, लेकिन शब-ए-मेराज में सिर्फ आख़िरी नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ही अर्श-ए-आज़म से आगे ला मकां में अल्लाह से मुलाकात हुई। नबी-ए-पाक ने कई बार अल्लाह के दरबार में हाजिरी दी, कलाम किया और अल्लाह के दीदार से सरफ़राज हुए। तोहफे में पचास वक्त की नमाज़ मिली जो बाद में अल्लाह ने पांच वक्त की कर दी। नबी-ए-पाक पर मेराज शरीफ की मुबारक रात में अहकाम-ए-खास नाज़िल हुए। अल्लाह ने नबी-ए-पाक को अज़ीम इज्जतो वकार से नव़ाजा। सात आसमानों की सैर कराई गई। जन्नत व दोजख दिखाई गई। तमाम अज़ीम पैगंबरों व फरिश्तों से नबी-ए-पाक की मुलाकात हुई।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार में महफिल हुई। जिसमें हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि मेराज शरीफ में नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने रात के एक भाग में मस्जिद-ए-हराम से मस्जिद-ए-अक़्सा तक यात्रा की, जिसका वर्णन कुरआन में अल्लाह ने सूर: बनी इस्राइल में किया है। मस्जिद-ए-अक़्सा से नबी-ए-पाक सात आसमानों की सैर पर गए। आसमानी यात्रा को मेराज कहा जाता है। इसका वर्णन क़ुरआन में अल्लाह ने सूरः नज्म में किया है और अन्य बातें हदीसों में विस्तृत रूप में बयान हुई हैं। नबी-ए-पाक मक्का शरीफ से बुराक़ पर सवार होकर मेराज के लिए तशरीफ ले गए। फरिश्तों के सरदार हज़रत जिब्राईल भी आपके साथ थे।
मदीना मस्जिद रेती चौक में महफिल हुई। जिसमें मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी, मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी व कारी बदरे आलम निज़ामी ने कहा कि मेराज शरीफ में नबी-ए-पाक बैतुल मुकद्दस में पहुंचे। बुराक से नीचे उतरे और अपनी सवारी को उसी स्थान पर बांधा जहां अन्य पैग़ंबर बांधा करते थे, फिर मस्जिद के अंदर चले गए और सारे पैग़ंबरों व फरिश्तों को जमात से नमाज़ पढ़ाईं, फिर हज़रत जिब्राईल के साथ आसमान-ए-दुनिया की सैर को गए। सिदरतुल मुंतहा के बाद का सफ़र नबी-ए-पाक ने स्वयं से तय किया। पचास वक्त की नमाज़ में कमी कराने के लिए कई बार अल्लाह के दरबार में पहुंचे। आपने अज़ीम पैग़ंबरों से मुलाकात की। अल्लाह से अपनी उम्मत के लिए बख़्शिश का वादा लिया।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर आपसी प्रेम, भाईचारगी व अमन शांति की दुआ मांगी गई। महफिल में शबनम फातिमा, नौशीन फातिमा, आयशा बानो, जिक्रा फातिमा, इल्मा नूर, शहाना परवीन, मेहरुन्निसा खातून, इल्मा नूर, सना परवीन, अलीना फातिमा, आयशा बानो, सबीहा बानो, समीरा बानो, कशिश फातिमा, नूर फातिमा, जुबैदा खातून, रुखसाना बेगम, रुबीना बानो, ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, हाफ़िज़ मो. अमन, मो. फ़ैज़, मो. इमरान, वारिस अली वारसी, हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी, मो. ज़ैद मुस्तफ़ाई, सैफ हाशमी, मो. आरिफ, रियाज़ अहमद, मो. शारिक, अमान अहमद, मो. ज़ैद 'चिंटू', सैफ अली अंसारी, अहसन खान, सरफ़राज़ अंसारी आदि ने शिरकत की।
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