फार्मेसी एक्ट के 75 वर्ष डायमंड-गोल्डन जुबली वर्ष में प्रवेश पर पूरे वर्ष चलेगा जागरूकता कार्यक्रम- सुनील यादव - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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फार्मेसी एक्ट के 75 वर्ष डायमंड-गोल्डन जुबली वर्ष में प्रवेश पर पूरे वर्ष चलेगा जागरूकता कार्यक्रम- सुनील यादव

 


लखनऊ, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 4 मार्च 1948 को भारत में फार्मेसी एक्ट भारत की संसद द्वारा पारित कर देश में लागू किया गया था, 4 मार्च 2022 को फार्मेसी एक्ट अपने 75वें वर्ष (डायमंड गोल्डन जुबली वर्ष) में प्रवेश कर रहा है, देश की जनता को अच्छी औषधियां उपलब्ध कराने, फार्मेसी के क्षेत्र में अच्छी शिक्षा प्रदान कर प्रशिक्षित लोगों द्वारा ही फार्मेसी प्रैक्टिस किए जाने की व्यवस्था,किसी भी अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा फार्मेसी व्यवसाय को रोकने सहित अन्य पावन उद्देश्यों को लेकर फार्मेसी एक्ट का गठन भारत सरकार द्वारा किया गया है , फार्मेसी एक्ट वास्तव में देश में फार्मेसी प्रैक्टिस के कवच के रूप में, फार्मेसिस्टों की सुरक्षा कवच के रूप में, आम जनता के लिए सुरक्षित औषधियों के कवच के रूप में स्थापित है । स्टेट फार्मेसी कौंसिल उत्तर प्रदेश के पूर्व चैयरमैन और फार्मासिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील यादव, संयोजक एवं फेडरेशन ऑफ इंडियन फार्मेसिस्ट ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष के के सचान, महामंत्री अशोक कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे पी नायक , उपाध्यक्ष सरफराज अहमद, राजेश सिंह, ओ पी सिंह, जी सी दुबे,डीपीए अध्यक्ष संदीप बडोला, महामंत्री उमेश मिश्र, अखिल सिंह, कपिल वर्मा, सहित विभिन्न पदाधिकारियों ने देश के सभी फार्मेसिस्टो को बधाई दी है ।

श्री यादव ने कहा कि  इस वर्ष सभी राज्य सरकारों से अपेक्षा है कि एक्ट के पूरी तरह परिपालन सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य कदम उठाएं । एक्ट की धारा 26 ए के अनुसार सभी राज्यो में फार्मेसी इंस्पेक्टर की तैनाती हो जिससे इंफोर्समेंट मजबूत हो सके ।

                                                     

 श्री सुनील यादव ने बताया कि 4 मार्च 1948 को सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए फार्मेसी अधिनियम लागू किया गया था।  इस लोक कल्याण अधिनियम के तीन मुख्य उद्देश्य थे:-

 सुरक्षित और प्रभावी चिकित्सा सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक एलोपैथिक दवाओं का सही भंडारण, सटीक वितरण सुनिश्चित करने के लिए फार्मेसी के क्षेत्र में विधिवत योग्य व्यक्ति ही फार्मेसी के पेशे में प्रवेश करें ।

 *धारा 42 के अनुसार केवल विधिवत पंजीकृत फार्मासिस्ट ही पंजीकृत चिकित्सकों के पर्चे पर दवाएं तैयार, मिश्रित या वितरित करेंगे और इसका उल्लंघन करने पर 6 महीने तक की कैद या 1000/- रुपये के जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जा सकता है।  तथा धारा 41(2) बी के अनुसार एक पंजीकृत फार्मासिस्ट के अलावा कोई भी व्यक्ति अपने नाम के साथ "फार्मासिस्ट", "केमिस्ट", "ड्रगिस्ट", "फार्मास्युटिस्ट", "डिस्पेंस", "डिस्पेंसिंग केमिस्ट" या ऐसे शब्दों के किसी भी संयोजन का उपयोग नहीं करेगा ।  इसका उल्लंघन करने पर पहली बार दोषी ठहराए जाने पर 500/- रुपये तक का जुर्माना और बाद में दोषी ठहराए जाने पर छह महीने तक की कैद या 1000रुपये तक का जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है।  

फार्मासिस्टों के लिए शिक्षा के पहले उद्देश्य को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार द्वारा भारतीय फार्मेसी परिषद (पीसीआई)  का पहली बार   गठन 9 मार्च, 1949 को किया गया था। 

फिर पीसीआई ने पूर्व अनुमोदन के साथ शिक्षा विनियम (education regulations)1953 मे बनाए।

पीसीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-2021 के दौरान  डिप्लोमा-इन-फार्मेसी पाठ्यक्रम के लिए 3150 अनुमोदित फार्मेसी कॉलेज थे, जिनमें प्रति वर्ष 1,90,000 प्रवेश हुआ बी. फार्म के 2243 संस्थानों में 1,66,841 प्रवेश हुआ

 पीसीआई वेबसाइट के अनुसार  (26-02-2022 तक): -

 (i) 286 फार्मेसी कॉलेज फार्म डी (डॉक्टर ऑफ फार्मेसी) के लिए स्वीकृत हैं।  

 (iv) 145 फार्मेसी कॉलेज फार्म डी (Post Baccalaureate) स्वीकृत हैं। 

 (v)  बी फार्म प्रैक्टिस (ब्रिज कोर्स )के लिए 30 फार्मेसी कॉलेज स्वीकृत हैं;  तथा

 (vi) एम. फार्म के लिए 874 अनुमोदित फार्मेसी कॉलेज/संस्थान हैं।  

इसके अलावा, विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंतर्गत लगभग 300 संस्थान और कॉलेज हैं जो फार्मेसी में पीएचडी डिग्री प्रदान करते हैं


 फार्मेसी एक्ट के दूसरे उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में फार्मासिस्टों के पंजीकरण और पंजीकृत फार्मासिस्टों के आचरण की निगरानी के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए राज्य फार्मेसी परिषदों (State Pharmacy Council) का गठन किया गया था।  अपंजीकृत व्यक्तियों द्वारा दवाओं के वितरण के लिए अभियोजन शुरू करने के लिए राज्य सरकार और राज्य फार्मेसी परिषद की कार्यकारी समिति दोनों को अधिकार दिया गया है।

 तीसरे उद्देश्य को पूरा करने के लिए अधिनियम ने राज्य सरकार और राज्य फार्मेसी परिषद की कार्यकारी समिति को फार्मासिस्ट होने का झूठा दावा करने वालों पर मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया है यह अधिनियम 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और यह भारत के सभी फार्मासिस्टों के साथ-साथ उन लाखों फार्मेसी छात्रों के लिए एक महान क्षण है जो डिप्लोमा से लेकर पीएचडी कर रहे हैं। श्री सचान ने कहा कि फार्मेसी के क्षेत्र में विश्व स्तर की दवाओं और टीकों के निर्माण में आश्चर्यजनक सफलता के साथ भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योगों को बड़ी उपलब्धि दिया है, जिससे भारत को विश्व की फार्मेसी के रूप में मान्यता प्राप्त करने में मदद मिली है।हालांकि, फार्मेसी प्रैक्टिस के मोर्चे पर और फार्मास्युटिकल केयर के मामले में इंडिया अभी भी काफी पीछे है।  प्रत्येक नुस्खे की प्रभावकारिता में सुधार करने और दवा के सुरक्षा पहलुओं में सुधार करने के लिए या दूसरे शब्दों में आधुनिक दवाओं के तर्कसंगत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए WHO मानक फार्मास्युटिकल केयर होना चाहिए 

  स्वास्थ्य सेवा के मोर्चे पर फार्मासिस्ट की भूमिका विकसित देशों के समकक्ष होनी चाहिए जैसा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा 1994 में निर्धारित किया गया था। 

स्वास्थ्य नीति निर्माताओं को दवाओं के तर्कहीन उपयोग और व्यापार से उत्पन्न होने वाले विनाशकारी खतरों पर काबू पाने की आवश्यकता का एहसास करना चाहिए ।  सरकार को हाथी समिति की रिपोर्ट 1975 और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दस्तावेज़ 'स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में फार्मासिस्ट की भूमिका' WHO/PHARM/94.569 से मदद लेनी चाहिए।  इस दिशा में पहले कदम के रूप में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों दोनों को फार्मेसी सेवाओं के पुनर्गठन और आधुनिकीकरण के लिए फार्मेसी सेवा निदेशालय की स्थापना करनी चाहिए और क्लिनिकल फार्मेसी सेवाएं प्रदान करने के लिए फार्मास्युटिकल केयर के सिद्धांतों को प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए।

 फेडरेशन ने कहा कि फार्मेसी अधिनियम, 1948 के 75वें वर्ष में फार्मासिस्ट स्वस्थ, समृद्ध और विकसित भारत को सुनिश्चित करने के लिए उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ 'अनुकूलित परिणामों के लिए तर्कसंगत दवा चिकित्सा' के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


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