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शब-ए-बरात 18 मार्च को

 


गोरखपुर, उत्तर प्रदेश गुनाहों से तौबा और मगफिरत (माफी) की रात शब-ए-बरात की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मुफ्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने बताया कि शनिवार 5 मार्च को शाबान माह की पहली तारीख़ है। वहीं 18 मार्च को शब-ए-बरात है। इस मौके पर शहर की मस्जिदों एवं कब्रिस्तानों को रौशन किया जाएगा। इस दिन बड़ी संख्या में लोग पूरी रात इबादत करने के साथ कब्रिस्तान में पूर्वजों की मगफिरत के लिए दुआ करते हैं। 

इस्लामिक कैलेंडर के शाबान माह की 15 तारीख़ को शब-ए-बरात मनाया जाता है। शब-ए-बरात का अर्थ छुटकारे की रात से है। इस रात की बहुत अहमियत है। शब यानी रात, यह रात इबादत की रात है और अपने गुनाहों से माफी मांगी जाती है। बहुत से लोग इस दिन रोजा भी रखते हैं। इस दिन उन लोगों के लिए भी दुआ की जाती है जो दुनिया से विदा हो चुके हैं। उनके नाम पर गरीबों को खाना खिलाया जाता है। घरों में चने की दाल या सूजी का हलवा बनता है, जिसे बांटा जाता है। हाफ़िज़ आमिर हुसैन निज़ामी ने बताया कि इस रात की बहुत अहमियत है इसलिए फिजूल के कामों में वक्त बर्बाद करने के बजाय इबादत पर जोर देना चाहिए।



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