हिजाब का राजनीतिकरण गंगा जमुनी तहज़ीब पर जोरदार तमाचा
कानपुर, कर्नाटक में जारी मुस्लिम औरतों छात्राओं के हिजाब के मसले को लेकर संस्था के कार्यालय में बैठक की गई जिसमें शहर क़ाज़ी कानपुर मुफ्ती साकिब अदीब ने कहा कि किसी भी धर्म की शिक्षाएं उस धर्म के राष्ट्र के चरित्र को आकार देने के लिए तैयार की जाती है प्रत्येक धर्म के धार्मिक सिद्धांत और कानून उसकी धार्मिक शिक्षा और प्रशिक्षण के तौर पर विभिन्न रुपो में मौजूद है इस्लाम पूरी तरह से एक दस्तूर और सिद्धांत वाला धर्म है जो पुरुष और महिलाओं पर उनके लिंग के अनुसार नियम लागू करता है हिजाब यानी पर्दे का इस्लाम में बड़ा महत्त्व है औरतों को पर्दे का हुक्म दे कर इस्लाम उन्हें सुरक्षित रहने की बात करता है और बेशुमार बुराइयों से बचाने का आह्वान करता है महामंत्री महबूब आलम खान ने कहा कि हिजाब पहनना संविधान की अनुच्छेद 14 और 25 के तहत एक मौलिक अधिकार है जिसके तहत मुस्लिम औरतें और बच्चियां हिजाब धारण करती हैं कालेज और महाविद्यालय जैसे शिक्षा संस्थानों में भगवाकरण कर शिक्षा के आधार को धर्म के आधार पर बाधित करना भेदभाव ही नहीं दुर्भाग्यपूर्ण भी है जिसकी मैं खुले शब्दों में निंदा करता हूं और भारत सरकार से मांग करता हूं कि विद्यालय जैसे शिक्षा के मंदिर को नफरत और भेदभाव की भेंट चढ़ने से बचाया जाए
उन्होंने कहा कि हिंदुओं की किताब रामायण में भी पर्दा करने को कहा गया है!प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी कानपुर से मिल कर उन्हें माननीय प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा
इस मौके पर मुख्य रूप से शहर काजी मुफ्ती साकिब अदीब मिस्बाही कारी सगीर आलम हबीबी महबूब आलम खान खलीफा फैज उल नबी मौलाना रजी अहमद अमजदी वसीम खान मोहम्मद शारिक आदि लोग मौजूद थे !
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