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सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी की याद में किरात, नात, तकरीर व अज़ान का हुआ मुकाबला

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।


मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद तुर्कमानपुर में दीन-ए-इस्लाम के अज़ीम शहंशाह हज़रत सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी अलैहिर्रहमां व आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर्रहमां के उर्स-ए-मुबारक पर बच्चों के बीच किरात, नात, तकरीर, अज़ान व दुआ का मुकाबला हुआ। पहला स्थान शिफा खातून , दूसरा स्थान कनीज़ फातिमा व तीसरा स्थान अनज़लना अरशद ने हासिल किया। मकतब के मेराज, मुहीउद्दीन, फरहीन खातून, शिफ़ा खातून, अनज़लना अरशद, कनीज़ फातिमा, हसनैन, मोहम्मद राफे, खुशी नूर, फिज़ा खातून, नूर सबा, सिदरा खातून, नरगिस सहित तमाम बच्चों ने हिस्सा लिया। बच्चों को मुफ़्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी (मुफ़्ती-ए-शहर) व नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने ईनाम से नवाज़ा। 

मकतब के शिक्षक कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि हज़रत सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ही बैतुल मुकद्दस को फतह कर मस्जिद-ए-अक़्सा को आज़ाद करवाया था। आपने दुनिया की सबसे आधुनिक सल्तनत की बुनियाद रखी थी। दुनिया में सबसे अधिक अस्पतालों और स्कूलों का निर्माण करवाया। दुनिया का पहला शिक्षा बजट हज़रत सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ही पेश किया था। छात्रों के रहने के लिए हॉस्टल और कैंटीन बनाने की परम्परा शुरु की। सुल्तान सलाहुद्दीन ने अपनी पूरी ज़िन्दगी एक टेंट में गुजार दी। आप इतिहास के सबसे न्यायप्रिय सुल्तान थे।

हाफ़िज़ मो. शमीम क़ादरी ने कहा कि सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी की इंसाफ पसंदी का यह आलम था कि यहूदी और ईसाई भी अपने फैसलों के लिए उनके दरबार आते थे। आपने 2 अक्टूबर 1187 में सलीबियों को शिकस्त दे कर मस्जिद-ए-अक़्सा को आजाद करवाया था। आधी दुनिया पर हुकूमत करने वाले सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी के पास इतना भी पैसा नहीं था कि वो ज़कात अदा कर सकें। आप अपनी सारी दौलत गरीबों और मिस्कीनों पर खर्च कर देते थे। 

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती की दुआ मांगी गई।


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