रसूल-ए-पाक व क़ुरआन-ए-पाक सारी इंसानियत के लिए हिदायत - शेर मोहम्मद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
हाफ़िज़ नगर गुलरिया बाज़ार में जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी जलसा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हाफ़िज़ नईमुद्दीन ने की। नात-ए-पाक हाफ़िज़ सिराजुद्दीन व हाफ़िज़ मोहम्मद अज़ीम ने पेश की।
सदारत करते हुए मौलाना शेर मोहम्मद अमजदी ने कहा कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर आखिर रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक जितने भी नबी व रसूल इस दुनिया में आये, वह सब इंसानों को तौहीद, एकता और इंसानियत की दावत देने के लिए आए। आख़िरी रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्ल्लाहु अलैहि वसल्लम पूरी दुनिया के लिए रहमत बनकर आए। आपने इंसानों को उसके हकीकी मालिक से मिलाया। रसूल-ए-पाक पर नाज़िल होने वाली किताब कुरआन-ए-पाक भी एक विशेष क़ौम व मिल्लत के लिए नहीं बल्कि उसमें सभी इंसानों के लिए अल्लाह का संदेश है व हिदायत है।
मुख्य वक्ता मौलाना सेराज ने देशवासियों को क़ुरआन-ए-पाक पढ़ने की दावत देते हुए कहा कि दीन-ए-इस्लाम व क़ुरआन के अध्ययन से रसूल-ए-पाक के अख़्लाक और उनके सच्चे वारिस औलिया, उलमा के जीवन को समझें। अगर रसूल-ए-पाक के दिए हुए नियमों का पालन हो तो भारत भ्रष्टाचार, औरतों की असुरक्षा, भुखमरी और इस प्रकार के रोगों से और सभी तरह की नास्तिकता से और मजहब के नाम पर हिंसा से सुरक्षित हो सकता है।
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