अतिवृष्टि जलजमाव तथा ध्वस्त ड्रेनेज प्रणाली के कारण कुशीनगर के किसानों के समक्ष उत्पन्न भयावह स्थिति के तरफ ध्यान तथा प्राथमिकता के आधार पर ड्रेनेज प्रणाली को ठीक कराने एवं फसलों के भारी नुक़सान को देखते हुये किसानों को विशेष आर्थिक सहायता हेतु गुहार
रिपोर्ट प्रमोद पाण्डेय
कुशीनगर जिले में अतिवृष्टि जलजमाव के कारण पिछले तीन वर्षों में गन्ना,धान एवं केला उत्पादक किसानों को लगभग 28 से 30 अरब रूपये का नुकसान उठाना पड़ा है वर्ष 2018-19 में लगभग छव से आठ अरब रूपये , 2019-20 में लगभग दश से बारह अरब रूपये तथा इस वर्ष 2020-21 में लगभग लगभग दश से बारह अरब रुपये की फसलों का नुकसान हो चुका है ।कुशीनगर में लगभग 40 % नीची जमीन है जिसमें किसान खेती करते हैं तथा खेतों,तालाबों एवं तालो से पानी निकासी हेतु बनाये गये वर्षों पूर्व ड्रेनेज व्यवस्था के धराशायी होने के कारण तालो एवं नीची जमीनों में एकत्रित पानी के ओवरफ्लो के कारण लगभग 25 से 30% ऊंची जमीनों में भी खड़ी गन्ना एवं केला तथा हल्दी को भी पिछले तीन वर्षों में व्यापक नुकसान हुआ है । नीची जमीन में लगी गन्ना एवं धान तो लगभग पूरी तरह नष्ट हो गया है जबकि जलजमाव एवं जलभराव के कारण हजारों हेक्टेयर में खड़ी गन्ना की फसलें सूख रही हैं , अक्टूबर की बरसात के कारण लगभग 60 % गन्ना एवं 15 % धान बर्बाद हो चुका है वर्षों पूर्व से बनाई गई ड्रेनों में जगह-जगह अतिक्रमण हो चुका है अनेक बड़ी ड्रेनो के टेल के तरफ बहाव बाधित हो चुका है ।
पिछले वर्षों में जल संग्रह के नाम पर भूमि संरक्षण विभाग ने कुछ बड़े ड्रेनो में पक्का मिनी चेक डेम बनाकर ड्रेनो के बहाव में गतिरोध पैदा कर दिया है जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा है ।सूख रहे गन्ने के कारण गन्ने के अभाव में चीनी मिलों को मध्य पेराई सत्र में बंद होने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है ।
पिछले तीन वर्षों में हुए अरबों रुपए की फसल नुकसान ने कुशीनगर के किसानों की लगभग कमर तोड़ दिया है बैंकों एवं साहूकारों से लिए गये कर्ज भी चुकाना असंभव होता जा रहा है तथा अगली फसल एवं पारिवारिक खर्च चलाने के लिए आभूषण एवं खेत भी बंधक रखना पड़ सकता है भारत सरकार को अवगत कराना चाहता हूं कि यदि वास्तविक रूप से ड्रेनेज प्रणाली ठीक नहीं की गयी तथा अगले मानसून सत्र में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई तो कुशीनगर में भी कुछ किसान आत्महत्या जैसे अप्रिय कदम उठा ले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए अविभाजित जिला देवरिया के तत्कालीन जिलाधिकारी श्री मनोज कुमार ने भविष्य के संकट को ध्यान में रखकर कुशीनगर (तत्कालीन जिला देवरिया ) में महा ड्रेनेज परियोजना का प्रस्ताव राज्य एवं केंद्र सरकार को भेजा था जो अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है , गत दिनों कप्तानगंज ( कुशीनगर) में पधारे मुख्यमंत्री जी से भी अनुरोध कर चुका हूँ ।
आग्रह है कुशीनगर के किसानों के जीवन एवं फसलों को बचाने हेतु प्रभावी ड्रेनेज प्रणाली ठीक कराने तथा सर्वे कराकर किसानों को विशेष आर्थिक अनुदान दिलाने का कष्ट करें !
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