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आंवला प्रकृति प्रदत्त विटामिन्स का सबसे बड़ा स्त्रोत जानिये आंवला की खूबियां और उपयोग su

 

आंवला
आंवले के अनेकानेक गुणों में से कुछ गुण आप भी जानिए।

136. दिल की धड़कन 
आंवले का चूर्ण आधा चम्मच लेकर उसमें थोड़ी-सी मिश्री का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
आंवले का मुरब्बा या शर्बत दिल की तेज धड़कन को सामान्य बनाता है।

137. खूबसूरत दिखना 
आंवले को पीसकर पानी में भिगोकर चेहरे पर उबटन की तरह मलने से चेहरे की खूबसूरती बढ़ती है।

138. उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
आंवले का मुरब्बा खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है। एक-एक आंवला सुबह और शाम खाएं।
आंवले का चूर्ण एक चम्मच, गिलोय का चूर्ण आधा चम्मच तथा दो चुटकी सोंठ। तीनों को मिलाकर गर्म पानी से सेवन करें।
आंवले का चूर्ण एक चम्मच, सर्पगंधा तीन ग्राम, गिलोय का चूर्ण एक चम्मच। तीनों को मिलाकर दो खुराक करें और सुबह-शाम इसका इस्तेमाल करें।

139. हृदय की निर्बलता (कमजोरी) 
आधा भोजन करने के बाद हरे आंवलों का रस 35 ग्राम, आधा गिलास पानी में मिलाकर पी लें, फिर आधा भोजन करें। इस प्रकार 21 दिन सेवन करने से हृदय तथा मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है।
आंवले का मुरब्बा खाकर प्रतिदिन दूध पीने से शारीरिक शक्ति विकसित होने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
आंवले का 3 ग्राम चूर्ण रात्रि के समय 250 मिलीलीटर दूध के साथ सेवन करने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
सूखा आंवला तथा मिश्री 50-50 ग्राम मिलाकर खूब कूट-पीस लें। छ: ग्राम औषधि प्रतिदिन एक बार पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में हृदय की धड़कन तथा अन्य रोग सामान्य हो जाते हैं।

140. घबराहट या बेचैनी 
10 ग्राम आंवले के चूर्ण को इतनी ही मात्रा में मिश्री के साथ सुबह और शाम खाने से घबराहट दूर हो जाती है।

141. त्वचा (चर्म) रोग 
3 चम्मच पिसे हुए आंवले के रस को रात में एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उस पानी को छानकर उसमें 4 चम्मच शहद मिलाकर पीने से चमड़ी के सारे रोग दूर हो जाते हैं।
आंवले के रस में शहद मिलाकर पीने से सभी तरह के चमड़ी के रोगों में लाभ होता है।
आंवले का रस, कालीमिर्च और गंधक को बराबर की मात्रा में लेकर उसमें दो गुना घी मिला लें और चमड़ी पर लगायें। उसके बाद हल्की धूप में बैठे। इससे खुजली ठीक हो जाती है।

142. हदय रोग 
दिल में दर्द शुरू होने पर आंवले के मुरब्बे में तीन-चार बूंद अमृतधारा सेवन करें।
भोजन करने के बाद हरे आंवले का रस 25-30 मिलीलीटर रस ताजे पानी में मिलाकर सेवन करें।
एक चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण फांककर ऊपर से लगभग 250 मिलीलीटर दूध पी लें।
आंवले में विटामिन-सी अधिक है। इसके मुरब्बे में अण्डे से भी अधिक शक्ति है। यह अत्यधिक शक्ति एवं सौन्दर्यवर्द्धक है। आंवले के नियमित सेवन से हृदय की धड़कन, नींद का न आना तथा रक्तचाप आदि रोग ठीक हो जाते हैं। रोज एक मुरब्बा गाय के दूध के साथ लेने से हृदय रोग दूर रहता है। हरे आंवलों का रस शहद के साथ, आंवलों की चटनी, सूखे आंवला की फंकी या मिश्री के साथ लेने से सभी हृदय रोग ठीक होते हैं।
सूखा आंवला और मिश्री समान भाग पीस लें। इसकी एक चाय की चम्मच की फंकी रोजाना पानी से लेने से हृदय के सारे रोग दूर हो जाते हैं।
आंवले का मुरब्बा दूध से लेने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है व किसी भी प्रकार के हृदय-विकार नहीं होते हैं।

143. निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) 
आंवलों के 20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम मधु मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है।
आंवले या सेब का मुरब्बा प्रतिदिन खाने से कुछ सप्ताह में लाभ होने लगता है।  
      
144. क्रोध 
एक से दो की संख्या में आंवले का मुरब्बा रोजाना खाने से जलन, चक्कर के साथ साथ क्रोध भी दूर हो जाता है।

145. पीलिया (पांडु) का रोग 
10 ग्राम हरे आंवले के रस में थोड़ा-सा गन्ने का रस मिलाकर सेवन करें। जब तक पीलिया का रोग खत्त्म न हो जाए, तब तक उसे बराबर मात्रा में पीते रहें।
हरे आंवले का रस शहद के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से लाभ होता है।
छाछ के साथ आंवले का चूर्ण 1 चम्मच दिन में 3 बार रोजाना सेवन करें।
आंवले और गन्ने का ताजा निकाला हुआ रस आधा-आधा कप और 2 चम्मच शहद सुबह-शाम लगातार पीने से 2-3 महीने में पीलिया रोग दूर हो जाता है। इससे जीर्ण ज्वर या अन्य कारणों से उत्पन्न हुआ पांडु रोग (पीलिया) भी समाप्त हो जाता है।
लगभग 3 ग्राम चित्रक के चूर्ण को आंवलो के रस की 3-4 भावना देकर गाय के घी के साथ रात में चाटने से पीलिया रोग दूर होता है।
आंवले का अर्क (रस) पिलाने से कामला रोग में लाभ होता है।
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म के साथ 1-2 आंवले  का सेवन करने से कामला, पांडु और खून की कमी आदि रोगों में अत्यंत लाभ होता है।

146. कुष्ठ (कोढ़) 



10-10 ग्राम कत्था और आंवला को लेकर काढ़ा बना लें। काढ़ा के पक जाने पर उसमें 10 ग्राम बाबची के बीजों का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोजाना पीने से सफेद कोढ़ भी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
कत्थे की छाल, आंवला और बावची का काढ़ा बनाकर पीने से सफेद कोढ़ ठीक हो जाता है।
1 चम्मच आंवले के चूर्ण की सुबह, शाम फंकी लें।
आंवला के रस को सनाय के साथ मिलाकर खाने से कोढ़ ठीक हो जाता है।
खैर की छाल और आंवला के काढ़े में बाबची का चूर्ण मिलाकर पीने से `सफेद कोढ़´ ठीक हो जाता है।
आंवले और नीम के पत्ते को समान मात्रा में लेकर महीन चूर्ण कर रख लें, इसे 2 से 6 ग्राम तक या 10 ग्राम तक रोजाना सुबह-सुबह शहद के साथ चाटने से भयंकर गलित कुष्ठ में भी शीघ्र लाभ होता है।

147. विसर्प (फुंसियों का दल बनना) 
अनन्नास का गूदा निकालकर फुंसियों पर लगाने से फुंसिया ठीक हो जाती हैं। इसका रस रोजाना पीने से शरीर की बीमार कोशिकाएं ठीक हो जाती हैं।
आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम घी मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाने से विसर्प में राहत मिलती है।
आंवला, बहेड़ा, हरड़, पद्याख, खस, लाजवन्ती, कनेर की जड़, जवासा, और नरसल की जड़ को पीसकर मिलाकर लेप की तरह से लगाने से कफज के कारण होने वाला विसर्प नाम का रोग ठीक हो जाता है।

148. खसरा 


नागरमोथा, धनिया, गिलोय, खस और आंवला को बराबर मात्रा में लेकर और पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण 300 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को छानकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बच्चे को पिलाने से खसरा में बहुत आराम आता है।
खसरा निकलने के बाद शरीर में जलन या खुजली हो तो सूखे आंवलों को पानी में उबालकर ठंडा होने के बाद इससे शरीर को रोजाना साफ करें। इससे खसरे की खुजली और जलन दूर होती है।

149. सिर में दर्द 
लगभग 5 ग्राम आंवला और 10 ग्राम धनिये को मिलाकर कूटकर रात को किसी मिट्टी के बर्तन में 200 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रख दें। सुबह इस मिश्रण को कपड़े द्वारा छानकर पीने से गर्मी के दिनों में धूप में घूमने के कारण होने वाला सिर दर्द खत्म हो जाता है।
आंवले का शर्बत पीने से गर्मी के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
आंवले के पानी से सिर की मालिश करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

*150. सफेद दाग :*
20-20 ग्राम खादिरसार (कत्था) और आंवला को लेकर 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में 5 ग्राम बावची का चूर्ण मिलाकर खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) ठीक हो जाता है।

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