प्रभु श्री राम पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ कुटिया में निवास - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

Header Ads

प्रभु श्री राम पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ कुटिया में निवास

 


बाराबंकी पर्वत श्रेष्ठ चित्रकूट पर प्रभु श्री राम अपनी पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ कुटिया में निवास कर रहे हैं, मामा के घर से वापस अयोध्या लौटे भरत आने के बाद सीधे माता कैकई और राम भैया को ढूंढते हुए उनके कक्ष पंहुचते है, उन्हें इसका आभास भी नही होने दिया गया कि उनके प्राण प्रिय भैया और भाभी 14 वर्ष के बनवास को अयोध्या से जा चुके है।

जानकारी होते ही वे रोते बिलखते और कैकई माता को कोसते हुए कहते हैं पुत्र कुपुत्र हो सकता है मगर माता कुमाता नहीं होती,यह कलंक यह पाप मेरे सर पर लगा है, अब लोग क्या कहेंगे? भरत ने अपने भाई को राजगद्दी के लिए बनवास करा दिया?


तभी माता कौशल्या और सुमित्रा दोनों भरत को समझाती है कि राजा दशरथ अब इस दुनिया में नहीं रहे उनके अंतिम संस्कार कर भैया को ढूंढने जाएंगे,भरत अपने मंत्रियों सहित प्रभु श्री राम को वन में ढूंढने निकलते हैं पीछे-पीछे प्रजा चल पड़ी, निषाद राज से जानकारी लेकर भरत अपने माताओं के साथ चित्रकूट पर्वत पर जाते हैं।


पर्वत पर लक्ष्मण जंगल से लकड़ियां चुन रहे थे, इसी दौरान जैसे ही चक्रवर्ती सेना और भरत को आते देखा, लक्ष्मण आग बबूला होकर राम के पास आते हैं और कहते हैं कि भरत बड़ी सेना के साथ हमारी ओर बढ़ रहा है, तभी राम मुस्कुराते हुए कहते हैं ठहर जाओ, अनुज भरत को आने तो दो। 


अधीर नजरो एवम व्याकुल मन से भरत राम को निहारते है और चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगते हैं, फिर राम अनुज भरत को गले से लगाते हैं, भरत मिलाप के बाद तीनों माताओं का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं, उसके बाद भरत राजा दशरथ का समाचार राम को सुनाते है, यह शब्द सुनकर श्री राम और सीता लक्ष्मण व्याकुल हो शोकाकुल हो जाते है।

भरत राम को अपने साथ ले जाने के लिए भरत मिन्नतें करते हैं। मंत्री सुमंत और प्रजा गण बार-बार उन्हें अपने साथ जाने के लिए मनाते हैं, मगर श्री राम कहते हैं कि पिता के दिए हुए वचन का मर्यादा नहीं टूटे, इसके लिए हमें यहां रहने की अनुमति दें। रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई, यह कहकर लेने आए सभी लोगों को चुप करा देते हैं मगर भरत मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं। 


श्री राम ने भरत से कहा प्रजा हित के लिए तुम्हें राज्य संभालना है,अयोध्या की प्रजा जनों को देखना है और इसके साथ में माताओं का भी दायित्व निर्वहन करना है। भरत, श्री राम के चरण पादुकाओ को अपने सर पर उठाकर आंखों में अश्रु के साथ वहां से विदा होते हैं, 14 वर्ष तक श्री राम की चरण पादुकाओ को अयोध्या के राज सिंहासन पर रखकर खुद सन्यासी का जीवन व्यतीत करते हुए राजपाट संभालते हैं।


लीला के दौरान बड़े भक्तिमय माहौल बना रहा, इस दौरान लीला व्यास प्रमोद पाठक, राम लखन श्रीवास्तव, राजेश मौर्य खन्नू, सुखनंद, शिव कुमार वर्मा, संतोष जायसवाल, राजू पटेल, राजेश गुप्ता कृष्णा, अमर सिंह,कुणाल सिंह,विनय सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

No comments