एनडीआरफ वाराणसी ने डूबने एवं नाव दुर्घटना के बचाव हेतु जिला प्रशासन के साथ किया संयुक्त मॉक अभ्यास - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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एनडीआरफ वाराणसी ने डूबने एवं नाव दुर्घटना के बचाव हेतु जिला प्रशासन के साथ किया संयुक्त मॉक अभ्यास

 


उत्तर प्रदेश में डूबने एवं नाव दुर्घटना को राज्य आपदा घोषित किया गया है। जिनकी रोकथाम एवं न्यूनीकरण के लिए एनडीआरफ वाराणसी लगातार ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ संयुक्त रूप से प्रयासरत रहती है। ज़िला प्रशासन द्वारा “मुख्यमंत्री बाल तरणवीर कार्यक्रम” के अंतर्गत त्र्यंबकेश्‍वर हॉल, श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में एक दिवसीय मंडल स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें श्री मनोज कुमार शर्मा उप महानिरिक्षक 11 एनडीआरफ वाराणसी के निर्देशन में टीम ने डूबने से बचाव को लेक्चर एवं डेमो दिया। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के रूप में श्री राजेंद्र प्रसाद सदस्य एनडीएमए, श्री संजीव कुमार जिंदल संयुक्त सचिव आपदा प्रबंधन गृह मंत्रालय, श्री नवीन कुमार राहत आयुक्त, श्रीमती अदिति उमराव परियोजना निदेशक राहत आयुक्त कार्यालय श्री एस राजलिंगम जिलाधिकारी, श्रीमति वन्दिता श्रीवास्तव अपर ज़िलाधिकारी वित्त एवं राजस्व वाराणसी मौजूद रहे। इसके साथ ही राष्ट्रीय अंतर्देशीय जल परिवहन संस्थान, स्थानीय एजेंसियां एवं विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया। 

डॉक्टर पंकज गौरव (एसएमओ) 11 एनडीआरएफ द्वारा डूबने से बचाव और अस्पताल पूर्व दिए जाने वाले उपचार के बारे में लेक्चर दिया गया और टीम द्वारा उसका प्रदर्शन किया गया। तत्पश्चात ललिता घाट पर डूबने एवं नाव दुर्घटना से बचाव हेतु श्री राम भवन सिंह यादव उप कमांडेंट की अगुवाई में एनडीआरएफ की टीम द्वारा मॉक अभ्यास किया गया। जिसमें नाव के पलटने के डूबते हुए लोगों को रेस्क्यू करके घाट किनारे लाया गया जहाँ मेडिकल बेस पर अस्पताल पूर्व उपचार दिया गया। सभी संबंधित हितधारकों, जल पुलिस, एसडीआरएफ, आपदा मित्र, सिविल डिफेन्स और होमगार्ड सभी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस पूरे मॉक अभ्यास का उद्देश्य स्थानीय जनमानस, मल्लाह, नाव चालकों, स्नानार्थियों, घाट से जुड़े प्रबंधन, संगठनों को जागरूक करना एवं सभी हितधारकों के बीच समन्वय बनाना था। जिससे इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और यदि इस तरह की दुर्घटनाएं होती भी हैं तो त्वरित कार्यवाही करते हुए बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सके। इस मॉक अभ्यास में सभी सम्बन्धित हितधारकों ने अपनी सहभागिता बढ़-चढ़कर सुनिश्चित की और आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु अपनी सार्थक भूमिका निभाई।

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