मुफस्सिर-ए-आज़म,रेहान-ए मिल्लत की दिन में और मुफ्ती-ए आज़म हिंद के कुल शरीफ की रस्म देर रात अदा की गई - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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मुफस्सिर-ए-आज़म,रेहान-ए मिल्लत की दिन में और मुफ्ती-ए आज़म हिंद के कुल शरीफ की रस्म देर रात अदा की गई



देश-विदेश के ज़ायरीन दिन-रात गुलपोशी कर दरगाह पर हाज़िरी दे रहे। सियासी व गैर सिसायी चादर भी हुई पेश।


बरेली, उत्तर प्रदेश।तीन रोज़ा उर्स ए रज़वी के दूसरे दिन आज उर्स स्थल इस्लामिया मैदान में विभिन्न कार्यक्रम दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत और सय्यद आसिफ मियां व उर्स प्रभारी राशिद अली खां की देखरेख हुए। आज का रज़ा मस्जिद में कुरानख्वानी से हुआ। इसके बाद इस्लामिया मैदान में कारी रिज़वान रज़ा ने तिलावत-ए-कुरान से किया। इसके बाद मुफस्सिर ए आज़म मुफ्ती इब्राहीम रज़ा खान(जिलानी मियां) के कुल शरीफ की रस्म सुबह 10 बजे 30 मिनट व रेहाने मिल्लत मुफ्ती रेहान रज़ा खान(रहमानी मियां) के कुल शरीफ की रस्म सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर अदा की गई। वही देर रात 1 बजकर 40 मिनट पर मुफ्ती आजम हिंद के कुल शरीफ़ की रस्म अदा की गई। इस दौरान दुनियाभर के उलेमा ने अपनी तकरीर में आला हज़रत व खानदान के बुजुर्गों पर रौशनी डाली। मौलाना मुख्तार बहेड़वी ने कहा कि कहा की दुनिया भर में मुफ्ती आजम हिंद के हजारों खुल्फा,करोड़ों मुरीद है जिन्होंने 92 साला ज़िंदगी में सुन्नियत के फरोग में गुज़ार दिए। लाखो फतवे लिखे जिसमें नसबंदी के खिलाफ दिया फतवा मुख्य है। कारी इकबाल व मौलाना जिकरुल्लाह ने कहा कि आला हज़रत ने इश्क रसूल की बुनियाद पर इल्म के गहरे समुंदर में डूब कर वेश कीमती मोती हासिल कर लिए थे। आप बड़े फकीह व जहीन और तमाम खूबियों के मालिक थे। डॉक्टर एजाज़ अंजुम व कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ने मुफस्सिर ए आजम और रेहान ए मिल्लत के जरिए जो मसलक ए आला हज़रत के लिए खिदमत अंजाम दी गई उस पर रौशनी डाली गई। इंग्लैंड से आए अल्लामा फारोग उल क़ादरी,मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी आदि की भी तकरीर हुई। मुफ्ती जमील ने आला हज़रत का शजरा फातिहा मुफ्ती अय्यूब नूरी ने खुसूसी दुआ सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां व मुफ्ती आकिल रजवी ने मज़हब और मुल्क की खुशहाली के लिए की।

    रात में ही बिहार से आए अल्लामा महबूब गौहर इस्लामपुरी की लिखी किताब मंजूम सवाने आला हज़रत        जो आला हज़रत के जीवन परिचय पर साढ़े पांच साल में लिखी गई शायराना(नज़्म) अंदाज में लिखी किताब जिसमे 500 पेज शामिल है। साजदनशीन मुफ्ती अहसन मियां ने उसका विमोचन किया।

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