सुब्रतो रॉय सहारा और जाहिरा शेख को गैरकानूनी तरीके से जेल भेजने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर, जज अरिजीत पसायत और अन्य दो जजों के खिलाफ धारा २२०,२१९ ४०९, १६६, १२०(B), ३४ IPC आदी मामलों मे कारवाई के लिए राष्ट्रपती के पास केस दर्ज - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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सुब्रतो रॉय सहारा और जाहिरा शेख को गैरकानूनी तरीके से जेल भेजने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर, जज अरिजीत पसायत और अन्य दो जजों के खिलाफ धारा २२०,२१९ ४०९, १६६, १२०(B), ३४ IPC आदी मामलों मे कारवाई के लिए राष्ट्रपती के पास केस दर्ज

 


दिल्ली सुब्रतो रॉय सहारा और जाहिरा शेख को गैरकानूनी तरीके से जेल भेजने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर, जज अरिजीत पसायत और अन्य दो जजों के खिलाफ धारा २२०,२१९ ४०९, १६६, १२०(B), ३४ IPC आदी मामलों मे कारवाई के लिए राष्ट्रपती के पास केस दर्ज. [Case No. PRSEC/E/2023/0014606]सुप्रीम कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष श्री. ईश्वरलाल अगरवाल ने दायर किया केस।


जस्टिस के. एस. राधाकृष्णन, और जस्टिस एच. के. सेमा भी बने आरोपी।


1. कोर्ट अवमानना मे केवल अधिकतम ६ महीने की सजा का प्रावधान है फिर भी इन आरोपी जजोने जाहिरा शेख को एक साल और सुब्रतो रॉय सहारा को अनंत समय की सजा सुनाकर २ वर्ष २ महीने तक जेल में रखा. आज भी सुब्रतो रॉय सहारा बेल पर चल रहे है. उनकी सजा खत्म नही हुई है।


2. आरोपी जज भारतीय संविधान के अनुच्छेद २0(१), २१, तथा युनो के ICCPR के अनुच्छेद १५(१) और CrPC की धारा ४३६ – A (II) के उल्लंघन के आरोपी है जिसमे यह स्पष्ट प्रावधान है की किसी भी व्यक्ति को किसी भी परिस्थिती मे अधिकतम सजा से ज्यादा जेल में नहीं रख सकते।



3. उपरोक्त संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए दोषी जज पर IPC २२०, १६६, २१९, ५००, ५०१, ४०९, १२०(B), ३४ आदी धाराओं के तहत क़ानूनी कारवाई होकर उन जजों को ७ साल से उम्रकैद तक सजा हो सकती है।


4. पिडीत सुब्रतो रॉय सहारा और जहिरा शेख को सरकार और आरोपी जजेस मुआवजा / हर्जाना / Compensation देने को बाध्य है।  इस मामले की वजह से सहारा परिवार के करीब १२ लाख सदस्य और १३ करोड़ निवेशकर्ता प्रभावित हुये है. कईयो की मौत भी हो चुकी है।  उन सभी को अब न्याय मिलने की उम्मीद नजर आ रही है।


5. इसके पहले भी जस्टिस खेहर पर सुप्रीम कोर्ट मे उनके पास प्रलंबित मामले में आदेश देने के लिए उनके बेटे के माध्यम से 77 करोड़ रुपये मांगने के आरोप सिक्कीम के मुख्यमंत्री कलीखो पुल ने अपनी सुसाईड नोट में किये थे. अभी तक उस मामले की जाँच नहीं हुई है।



6. क़ानूनी प्रावधानों के तहत और खासकर International Covenant on Civil and Political Rights (ICCPR) अनुछेद 14 (5) के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा पाने वाले हर व्यक्ति को अपील करने के लिए एक वरीष्ठ बेंच या ऊपरी Constitutional Court का निर्माण करने की जिम्मेदारी सरकार की है.  लेकिन कई पिडीतो को ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं प्रदान की गई और उनके संवैधानिक अधिकारों का  उल्लंघन  किया गया है.  ऐसे सभी पिडीतो को सरकार द्वारा मुआवजा देने के आदेश UNO ने दिए है। [Anthony Michael Emmanuel Fernando Vs Srilanka 2005 SCC OnLine HRC 22, Luis Hens Serena and Juan Ramón Corujo Rodriguez Vs. Spain 2008 SCC OnLine HRC 20]


7. भारतीय क़ानूनी प्रावधानो के अनुसार पिडीतो को मुआवजा देने के बाद सरकार वह राशी आरोपी जज से वसूल करती है.

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