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राष्ट्र के उन्नयन के लिए भारतीय भाषाओं का पोषण जरूरी-प्रो सुरेंद्र दुबे

 देश की खोई विरासत की प्राप्ति क्षेत्रीय भाषाओं से  संभव- प्रो आर पी पाठक


भारतीय भाषाओं के बूते ही देश की उन्नति सम्भव - डॉ गंगा प्रसाद शर्मा



त्रिदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उदघाटन सत्र। 


रुद्रपुर, देवरिया। जनपद के रुद्रपुर स्थित राम जी सहाय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार  के सहयोग से "भारतीय भाषाओ में शोध एवं अकादमिक लेखन" विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला प्रारंभ हो गयी,जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. सुरेंद्र दूबे, पूर्व कुलपति, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थ नगर, 

अतिविशिष्ट अतिथि डॉ. गंगा प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय भाषा संस्थान, सूरत, गुजरात,

 विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री राजेश श्रीवास्तव, पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक, ग्रामीण बैंक उपस्थित रहे, कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. आर. पी  पाठक, पूर्व अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता, शिक्षा संकाय, श्री लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली  ने की। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती एवं रामजी सहाय के चित्र पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्वलित कर हुई, कार्यक्रम के संयोजक /प्राचार्य प्रो. बृजेश कुमार पांडेय ने अतिथियों को अंगवस्त्र,  प्रतीकचिन्ह और पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया, अपने उदबोधन में मुख्य अतिथि प्रो सुरेंद्र दूबे ने कहा कि आजादी की लड़ाई भारतीय भाषाओ मे लड़ी गयी, लेकिन आजादी मिलते ही हम आपने भारतीय भाषाओं से दूर होते चले गए, जिसकी वजह से हम अपनी संस्कृति से दूर होते चले गए, संस्कृत को उन्होंने वैज्ञानिक भाषा बताया तथा इंटरनेट पर क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग पर बल दिया। 

अतिविशिष्ट अतिथि डॉ. गंगा प्रसाद शर्मा ने शिक्षको को अपनी भाषा मे ज्ञान देने की आवश्यकता पर जोर दिया, उन्होंने अपनी भाषा और शिक्षा के प्रति संवेदना पर बल देकर निजी लोभ को त्यागकर देशी भाषाओं के विकास पर बल दिया। 

  विशिष्ट अतिथि श्री राजेश श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों के विचारों को अपनाने पर बल दिया। 

 कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो आर पी पाठक ने कहा कि हम क्या थे, क्या हो गए और क्या होने जा रहे हैं इस पर चिंतन करने को आवश्यक बताकर क्षेत्रीय भाषाओं को अपनाने पर बल दिया। 

अंत में राष्ट्रिय कार्यशाला के सहसंयोजक डॉ शरद वर्मा ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया, संचालन डॉ मनीष कुमार ने किया, 

इसके उपरांत प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. नाजिश बानो, एवं मुख्य वक्ता डॉ. गंगा प्रसाद शर्मा ने "उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं का प्रयोग" विषय मंथन करते हुऐ वक्ताओं ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये,

  द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो. मंजू मिश्र ने व मुख्य वक्ता प्रो. रमेश प्रसाद पाठक ने  "भारतीय भाषाओं में शोध संभावनाएं" विषय  पर अपने सारगर्भित विचार रखे। 

कार्यर्शाला में प्रमुख रूप से प्रो. राकेश पांडेय, प्रो.ममता मणि, प्रो. मंजू मिश्र, प्रो. राम प्रीति मणि त्रिपाठी, डॉ. नाजिया बानो, डॉ. चंद्र भान वर्मा, डॉ राम पाण्डेय, प्रो. श्रीप्रकाश मिश्र, राम मोहन उपाध्याय, डॉ. राम पांडेय, प्रो. वाचस्पति द्विवेदी, प्रो. संतोष  यादव, डॉ नरेन्द्र शर्मा, अजय तिवारी, डॉ. राणा प्रताप तिवारी, डॉ. अजय मिश्र, डॉ. विजयानंद, डॉ. निमिषा, डॉ. यामिनी, डॉ आशुतोष सिंह, डॉ. आनंद, डॉ. विमल कुमार, डॉ. गौरव कुमार, डॉ बृजेश कुमार, डॉ रेखा पांडेय, डॉ. अजय पांडेय, डॉ. दिव्या, डॉ. सुधीर श्रीवास्तव, डॉ. देवेंद्र चौहान, डॉ. विनीता दीक्षित, मुकेश चौधरी, संजय कुमार, सुषमा तिवारी के अलावा लगभग तीन सौ से अधिक प्रतिभागी ,शोध छात्र, विद्यार्थी एवँ विद्वतजन  प्रमुख रूप से उपस्थित रहे

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