बजट में पुरानी पेंशन, ठेकेदारी प्रथा और संविदा की जगह स्थाई रोजगार सृजन की घोषणा नही
बजट में पुरानी पेंशन, ठेकेदारी प्रथा और संविदा की जगह स्थाई रोजगार सृजन की घोषणा नही होने से कर्मचारियो में निराशा यू पी इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट की स्थापना स्वागत योग्य कदम
प्रदेश सरकार का बजट कर्मचारी हित के मामले में निराशाजनक है । पूरे बजट में कर्मचारियों के हितों की कोई घोषणा नहीं है । पुरानी पेंशन की घोषणा नहीं की गई, संविदा प्रथा और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के स्थान पर बढ़ावा दिया जा रहा है, स्थाई रोजगार सृजन ना होने से तकनीकी योग्यता धारक लोगों को अल्प वेतन और भविष्य की असुरक्षा के बीच कार्य करना पड़ रहा है ।
हालांकि खाद्य एवं औषधि विभाग के 14 मंडलीय कार्यालयों एवं प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए 200 करोड़ की धनराशि दी गई है, जो बहुत ही आवश्यक थी, स्वागत योग्य है उत्तर प्रदेश इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट की स्थापना हेतु ₹20 करोड़ का प्रावधान किया गया है जो औषधि रिसर्च की दिशा में अच्छा कदम है, बजट का यह बिंदु स्वागत योग्य है
बजट में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के सुदृढ़ीकरण के लिए आवंटित धनराशि बहुत कम है साथ ही औषधियों के लिए बजट और ज्यादा बढ़ाया जाना चाहिए था ।प्रदेश में फार्मेसी क्षेत्र में अपर संभावनाएं हैं, तकनीकी रूप से श्रेष्ठ मानव संसाधन फार्मेसिस्ट उपलब्ध हैं अतः प्रदेश को फार्मा हब के रूप में विकसित किया जाना चाहिए तथा औषधि रिसर्च, निर्माण, औषधि व्यापार , चिकित्सालयों में फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता के साथ चिकित्सालयों में फार्माकोविजिलेंस की घोषणा आवश्यक थी जिस पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया जाएगा
बजट में मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की घोषणा तो की गई है लेकिन जनता को निःशुल्क औषधियां, निशुल्क इलाज और सुविधाएं जो पूर्व से उपलब्ध हो रहीं थीं, उसके बारे में कोई योजना नहीं बताई गई
। कर्मचारियों के पदों को समाप्त करने के स्थान पर उन्हें प्रतिनियुक्ति पर रखे जाने की मांग लगातार की जा रही थी और आशा थी कि इस बजट सत्र में इसकी घोषणा की जाएगी जो नहीं हुई ।
पीपीपी मॉडल पर जो मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं उनमें भी स्थाई रोजगार की घोषणा नहीं है अतः कर्मचारी हितों के प्रतिकूल है ।
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