राजनीति में संस्कृति के दूत थे दीनदयाल उपाध्याय
भाजपा दक्षिण ने 1000 से भी अधिक बूथों पर मनाई पुण्यतिथि
कानपुर। एकात्म मानववाद एक ऐसी विचारधारा है जो मनुष्य को जीना सिखाती है। एक ऐसे समाज का उदय करती है जहां एकता हो, समानता हो और लोग भाईचारे के साथ रहते हो ।एकात्म मानववाद को अपनाकर ही हम अपने राष्ट्र एवं विश्व का कल्याण कर सकते हैं ।उक्त बाते शनिवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्य तिथि पर आयोजित समर्पण दिवस के अवसर पर वक्ताओं ने कही ।भाजपा दक्षिण जिलाध्यक्ष डा.वीना आर्या पटेल के निर्देशन मे गोविंद नगर स्थित प.रामप्रसाद त्रिपाठी हिन्दू धर्मशाला मे आयोजित बूथ संख्या 28 व 29 की संयुक्त संगोष्ठी मे वक्ताओं ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा के प्रणेता थे ।एकात्म मानववाद, मानव जीवन व सम्पूर्ण सृष्टि के एकमात्र सम्बन्ध का दर्शन है।प.दीनदयाल व्यक्तिवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद को पश्चिमी अवधारणा मानते थे। इनको भौतिकवादी विचारधाराओं का स्वरूप मानते थे ।वक्ताओं ने आगे कहा कि राष्ट्र को परिभाषित करने के लिए चार बातें जरूरी है पहली बात यह कि भूमि और जल से देश बनता है। दूसरी बात यह है कि सबकी इच्छाशक्ति अर्थात सामूहिक जीवन का संकल्प। तीसरी बात एक व्यवस्था जिसे नियम या संविधान कहते हैं इसे हम धर्म भी क्या सकते हैं। चौथा जीवन- आदर्श, इन सब को मिलाकर राष्ट्र बनता है। जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजनीतिक कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि राजनीति में संस्कृति के दूत थे।पं उपाध्याय का चिंतन और उनकी शैली भारत केंद्रित थी। वे पश्चिम के विचारों से संवाद के पक्ष में थे लेकिन बौद्धिक परजीविता के कटु आलोचक थे। केन्द्र एवं प्रदेश की भाजपा सरकारें प.दीनदयाल उपाध्याय की इन्हीं विचारधाराओं को अपनाकर अन्योदय के रास्ते पर चलते हुए निर्बलो एवं वंचितों के विकास के प्रति संकल्पित है।प. दीनदयाल की पुण्यतिथि पर आयोजित समर्पण दिवस पर भाजपाइयों ने बूथो पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करने के साथ ही अपनी इच्छानुसार धनराशि भी समर्पित कर इकट्ठा की।
प्रमुख रूप से विकास दुबे, प्रकाश वीर आर्य, अनिल त्रिपाठी,ओमप्रकाश मिश्रा, हरीशंकर सिंह,राजेश बाजपेई(एडवोकेट),मनोज पाल,राजेश श्रीवास्तव,गोपाल शुक्ला, राहुल अग्निहोत्री, गौरव तिवारी, रविशंकर सिंह, सुनील दीक्षित आदि रहे।
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