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जनकपुर में मुस्लिम बोर्ड नेपाल की शैक्षिक जागरूकता के संबंध में एक ऐतिहासिक कांफ्रेंस

 मुस्लिम बोर्ड नेपाल द्वारा नेपाली सुन्नी,सुफी बरेलवी,हनफी मुस्लिम समुदाय के शैक्षिक उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयासों की सुन्नी, सुफी,खानकाही,बरेलवी मुसलमानों के केंद्र दरगाहेआलाहजरत बरेली शरीफ उत्तर प्रदेश भारत के प्रवक्ता मुफ्ती मोहम्मद सलीम बरेलवी ने प्रशंसा कर मुबारकबाद दी।



जनकपुर धाम, नेपाल दरगाहेआलाहजरत बरेली शरीफ उत्तर प्रदेश भारत के मुफ्ती मोहम्मद सलीम साहब बरेलवी ने मुस्लिम बोर्ड नेपाल के सभी मिम्बरान व ओहदेदारान को मुबारकबाद देते हुए कहा कि मरकजे अहल-ए-सुन्नत दरगाह आलाहज़रत आप के शैक्षिक बेदारी मुहिम में आप के साथ है।इस संबंध में उनहोने मुस्लिम बोर्ड नेपाल के प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि मंगलवार, 3 जनवरी, 2023 को नेपाल ओपन यूनिवर्सिटी में इस्लामी अध्ययन विभाग के प्रारंभ होने पर नेपाल के मुस्लिम बोर्ड की ओर से अल-जमेअतुल-हनफियाह अल-गौसिया जनकपुर धाम  में एक ऐतिहासिक शैक्षिक जागरूकता कांफ्रेंस आयोजित की गई ।

 इस इतिहासिक कार्यक्रम की शुरुआत हनफिया गौसिया मदरसे  की एक छात्रा द्वारा कुरान की तिलावत से हुई।  बाद में मोहम्मद अमीर आजम नवलपरासी ने मदरसों में धर्मशास्त्र पाठ्यक्रम के साथ समकालीन पाठ्यक्रम लाने के महत्व पर बहुत प्रभावी चर्चा की।

 अल्हाज अब्दुल रऊफ खान पुर्व शिक्षा अधिकरी नेपाल ने नेपाली मुस्लिम समुदाय द्वारा राष्ट्र के लिए निरंतर संघर्ष और कुछ सफलताओं का उल्लेख किया और कहा कि हमने नेपाल ओपन यूनिवर्सिटी में इस्लामी अध्ययन का चार वर्षीय बीए ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किया है।  लेकिन यह परिणाम इतनी आसानी से नहीं मिला, बल्कि बड़ी कुर्बानी देनी पड़ी, जिसमें ओपन विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रो. बैदियानाथ कोइराला का पूरा सहयोग रहा.  इस कोर्स में प्रवेश के लिए इंटर या इसके समकक्ष यूपी और बिहार बोर्ड का आलिम सर्टिफिकेट जरूरी है।

 तत्पश्चात प्रो. अब्दुल कय्यूम ने बीए पाठ्यक्रम  के बारे में विस्तृत चर्चा की, फिर मुस्लिम बोर्ड नेपाल के अध्यक्ष डॉ. मुबशशिर हसन मिस्बाही, पीएच.डी.जे.एन.यु देहली ने नेपाल में इस्लामी अध्ययन विभाग की सथापना के महत्व का संक्षिप्त परिचय दिया।इस के साथ ही उनहोने नेपाली मुसलमानों के विभिन्न वर्गों यानी  सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक ने समकालीन विद्वानों को एक साथ लाने के लिए मुस्लिम बोर्ड नेपाल की एक परिचयात्मक रूपरेखा प्रस्तुत की और बताया कि हम नेपाली मुसलमानों के हर वर्ग को एक बैनर तले लाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

, डॉ. प्रो. बैदियानाथ कोइराला ने देश और राष्ट्र, विशेष रूप से मुसलमानों के लिए अपने बलिदानों का उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने मुसलमानों की विशेष शिक्षा के लिए इस्लामिक अध्ययन विभाग, कपिल वास्तु मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए सफल प्रयास किए हैं। और अभी और  अधिक प्रयास चल रहे हैं  उनकी इच्छा है कि मधेश  प्रदेश में एक विश्वविद्यालय या कम से कम इस्लामिक स्टडीज़ का खुद मुसलिमों का एक कॉलेज स्थापित किया जाए।

 तत्पश्चात् अन्य प्रसिद्ध विद्वानों और  ने भी अपने-अपने मत प्रस्तुत किये।  विशेष रूप से मौलाना मंसूर आलम मिस्बाही एमए अंग्रेजी दिल्ली विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम के महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझाया। सदारती खुतबा   हज़रत अल्लामा शेख मुहम्मद नईमुद्दीन मिस्बाही अज़हरी द्वारा दिया गया।

 बैठक में सैकड़ों विद्वानों एवं लोगों ने भाग लिया, विशेष रूप से मुस्लिम बोर्ड नेपाल के मधिस प्रदेश के सभी मुखय विद्वान व उलमा सम्मलित हुए।  मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर डॉ बैदिया नाथ कोइराला, केंद्रीय शिक्षा विभाग, त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू के पुर्व प्रमुख व संस्थापक ओपन विश्वविद्यालय नेपाल, प्रोफेसर अब्दुल कय्यूम पूर्व प्रोफेसर ठाकुर राम मल्टीपल कैंपस बीरगंज व  मुस्लिम बोर्ड नेपाल मधेष प्रदेश के संरक्षक ,अल्हाज अब्दुल रऊफ खान पूर्व शिक्षा अधिकारी भैरवा व राष्ट्रीय संरक्षक मुस्लिम बोर्ड नेपाल, डॉ मुहम्मद मुबशशिर हसन मिस्बाही पीएचडी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली, केंद्रीय अध्यक्ष मुस्लिम बोर्ड नेपाल, 

मौलाना अब्दुल गफूर अरशद मिस्बाही सदस्य मुस्लिम बोर्ड नेपाल, मौलाना मुजाहिदुल इस्लाम मिस्बाही महासचिव मुस्लिम बोर्ड नेपाल, मुफ्ती अंजर आलम मिस्बाही नायब काजी सरलाही व सचिव मुस्लिम बोर्ड नेपाल, मौलाना शाहिद रजा कादरी कोषाध्यक्ष मुस्लिम बोर्ड नेपाल, मौलाना मेराज असदक कादरी अध्यक्ष मधिस प्रदेश मुस्लिम बोर्ड नेपाल हजरत मौलाना गुलाम रब्बानी मिस्बाही सदस्य  मुस्लिम बोर्ड नेपाल,  हजरत कारी शकील अहमद सदस्य, मौलाना मुहम्मद मंसूर आलम मिस्बाही एमए दिल्ली विश्वविद्यालय, मुफ्ती अहमद रजा सकाफी संस्थापक अल-अमीन नेशनल एकेडमी लहान,, मुफ्ती इजहारुल नबी मिस्बाही काजी शरा जनकपुर व  धनुषा, हजरत मौलाना मुहम्मद अशरफ रजा कादरी बरकती, हजरत अल्लामा मंजूर अहमद रिजवी साहिब, हजरत अल्लामा मुसतस्कीम बरकती साहिब, अल्लामा अब्दुल अजीज जनकपुर, हजरत मौलाना असलम अल कादरी, हजरत मौलाना दाऊद साहिब, मौलाना याकूब कादरी, कारी नसीम अहमद कादरी, मौलाना मुशाहिद चतुर्वेदी, मौलाना अला उद्दीन महोत्री, मौलाना अब्दुल लतीफ रिजवी, मौलाना मतीउर रहमान अमजदी, मौलाना मुर्तजा उस्मानी मदनी जनकपुर, इसी तरह धनुषा, महोत्री सरलाही, सिरहा आदि जिलों के सैकड़ों विद्वान व उलमा शामिल हुए।


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