जिला कृषि रक्षा अधिकारी पी0सी0 विश्वकर्मा ने जनपद के किसान भाईयोें को अवगत कराया है कि तापमान में गिरावट
संत कबीर नगर जिला कृषि रक्षा अधिकारी पी0सी0 विश्वकर्मा ने जनपद के किसान भाईयोें को अवगत कराया है कि तापमान में गिरावट एवं आपेक्षिक आर्द्धता में वृद्धि के कारण आलू की फसल में अगेती/पछेती झुलसा एवं राई सरसों में माहू के प्रकोप की सम्भावना बढ़ गयी है।उन्होंने बताया कि आलू का अगेती एवं पछेती झुलसा में निचली व पुरानी पत्तियों पर छोटे अण्डाकार भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है, इसका प्रभाव पत्तियों और कन्द दोनों पर पड़ता है। प्रभावित कन्दों में धब्बे के नीचे का गूदा भूरा एवं शुष्क हो जाता है। पछेती झुलसा आलू में लगने वाली एक भयानक बीमारी है, इसका प्रकोप पत्तियों, तनों एवं कन्दों पर होता है। बदलीयुक्त मौसम, 10°-20° सेन्टीग्रेड तापमान एवं 80 प्रतिशत से अधिक अपेक्षिक आर्द्धता की दशा में इस बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है। आलू में अगेती एवं पछेती झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु मैन्कोजेन 75 प्रतिशत डब्लू०पी० 2 किग्रा० अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू०पी० की 2.5 किग्रा0 की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500-750 लीटर पानी में घोलकर सुरक्षात्मक छिडकाव करें।उन्होंने बताया कि राई सरसो का माहू कीट के शिशु एवं प्रौढ़ पौधों के कोमल तनो, पत्तियों, फूल एवं नई कलियों के रस चूसकर कमजोर कर देते हैं। कीट मधुश्राव भी करते है, जिस पर काली फफूंद उग जाती है। जिससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे पौधे को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है। फलस्वरूप फसल कमजोर हो जाती है। माहू को नित्रण हेतु एजाडीरैक्टिन 0.15 प्रतिशत ई०सी० की 2.5 लीटर मात्रा को 400-500 लीटर पानी में घोलकर बनाकर छिड़काव करें। इसके नियंत्रण हेतु कीट की सघनता के अनुसार 10-15 ऐलो स्टिकी ट्रेप प्रति हेक्टयर की दर से प्रयोग किया जा सकता है। रसायनिक नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई०सी०, ऑक्सीडेमेटोंन मिथाइल 25 प्रतिशत ई०सी० अथवा क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई०सी० की 1.0 लीटर मात्रा को 600-750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें। उन्होंने बताया कि कम तापमान के कारण फसलों में पाले की सम्भावना रहती है जिसके बचाव हेतु खेत में नमी बनाये रखने हेतु हल्की सिंचाई करें।
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