पूरे जिले में बर्बाद हो गईं सड़कें - मानकों की अनदेखी पर नहीं जाती जिम्मेदारों की नजर - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

Header Ads

पूरे जिले में बर्बाद हो गईं सड़कें - मानकों की अनदेखी पर नहीं जाती जिम्मेदारों की नजर

 


संतकबीरनगर। जिले में सड़कों का हाल बेहाल है। सड़क चाहे नई बनी हो या पुरानी मरम्मत वाली, हाल सबका बेहाल है। सबसे पहले बात करें मेंहदावल से खलीलाबाद वाली सड़क की। दो साल तक खूब हल्ला हुआ नन्दौर से तिघरा तक की हिचकोले वाली सड़क का। १३ किमी तक  की यात्रा घंटों तक में पूरी होती थी। विधानसभा चुनाव पास आया तो विधायक जी ने जान लड़ा दी। सड़क बनने का बाकायदे शिलान्यास हुआ। महीनों सड़क बनी। सड़क बनने के ६ महीने बाद ही सड़क सालों पुरानी दिखने लगी है। जगह जगह सड़क धंसने की बात रोज इस सड़क से गुजरने वाले सुनाते हैं। चाहे पिपरा प्रथम से मनैतापुर से सिध्दार्थ को जोड़ने वाली हो आज तक ठीकेदारों और जेई मिली भगत सिर्फ लिपा पोती हुआ है औरबात करें महुली विश्वनाथ पुर मार्ग की तो लगभग ७ किलोमीटर लम्बा यह मार्ग रोजाना हजारों लोगों को जिला मुख्यालय से जोड़ता है। अभी सात आठ महीने पहले लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से इसकी मरम्मत हुई। अब हाल यह है कि इसके गड्ढे गिन पाना मुश्किल हो चुका है। जिला मुख्यालय से पंचपोखरी जाने वाले रास्ते का हाल भी कमाल का है। चाहे खलीलाबाद से पंचपोखरी पहुंचना हो या बघौली से, मुश्किल किसी सड़क से कम नहीं है। चार पहिया वाले तो इन सड़कों पर चलने से घबराते ही हैं, बाइक सवार भी इनसे गुजरना नहीं चाहते। खलीलाबाद से बन्हवा के अस्पताल के लिए दूर दूर से मरीज आते हैं और बन्हवा पहुंचने तक उनको बार बार भगवान ही याद आते हैं। खलीलाबाद से दक्षिण नौरंगिया से कोनी मार्ग लगभग तीन किलोमीटर लम्बा है। हालत इसकी भी दयनीय है। मैनसिर से मोलनापुर का बेहद व्यस्त रास्ता भी बदहाली का नजारा कराता है। राम जानकी मार्ग पर पारा  सीर से रामपुर बाराकोनी की ६ किलोमीटर की दूरी आधे घंटे से कम समय में पूरी नहीं होती।

- अब तो प्रधानमंत्री ग्रामीण योजना की सड़कों की हालत भी चिंताजनक

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री सड़क योजना की सड़कें पहले भरोसा जगाती थीं कि कम से कम तीन चार साल तक इन पर हचके नहीं लगेंगे। लेकिन अब ये सड़कें भी उतनी ही दुखदाई हो चुकी हैं। बघौली से पिपरा बोरिंग की १३ किमी की सड़क इस योजना में बनी, साल भर में गड्ढों से भर गई। यही हाल इस योजना में बनी हर सड़क का है जबकि ठेकेदार और विभाग के बीच बनने के ५ साल बाद तक देखभाल का बांड भी भरा जाता है। लोगों का कहना है कि। जनप्रतिनिधि बोलते नहीं और जनता की कोई सुनता नहीं सो इन पर से गुजरना सबकी मजबूरी है।

No comments