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मुसलमानों की सुरक्षा और तरक्की का राज़ ईमान और इत्तेहाद इश्के नबवी के मेहवर पर जरूरी

 अल मजलिस-उल-इस्लामी कानपुर के तत्वधान में बज़्मे रज़ा के तैतीसवां सालाना जलसे से ओलमा का खिताब



कानपुर आला हज़रत मौलाना इमाम अहमद रज़ा बरेलवी अलैहिर्रहमा सन 1856 ई० में एक धार्मिक और शिक्षित परिवार में उत्तर प्रदेश के शहर बरेली में पैदा हुए। आप अल्लाह तआला और महबूब पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की तरफ से नवाज़े गए थे।उक्त विचार जलसा के अध्यक्ष मुफ्ती मो० इलयास खाँ नूरी मुफ्ती-ए-आज़म कानपुर ने अल मजलिस-उल-इस्लामी कानपुर के तत्वधान में बशीर स्टेट हीरामन पुरवा में आयोजित बज़्में रज़ा के तेतीसवाँ सालाना जलसे में व्यक्त किया।मौलाना ने कहा कि हदीस शरीफ में फरमाया गया है कि अल्लाह तआला जिस बंदे से भलाई का इरादा फरमाता है उसे दीन की समझ अता फरमाता है। बेशक आला हजरत चौदहवीं सदी हिजरी के महान धर्म गुरु और शिक्षा विधि के जानकार थे। जलसा के संयोजक मौलाना मोहम्मद महताब आलम कादरी मिस्बाही शहरी अध्यक्ष ऑल इंडिया गरीब नवाज़ काउंसिल ने आला हजरत मोहद्दिस बरेलवी के कारनामों का बखान करते हुए कहा कि आप हर मोड़ पर मिल्लत की गलतियों की इसलाह करते। ।जलसे के मुख्य अतिथि मुफ्ती मोहम्मद हनीफ बरकाती मुफ्ती-ए-शहर कानपुर आला हजरत बरेलवी की व्यक्तित्व और उनकी खिदमात पर चर्चा करते हुए कहा कि मुसलमानों के बाकी रहने और तरक्की और उसका व्यक्तित्व का राज़ ईमान व इत्तेहाद में छुपा है। आज दुनिया में इस्लाम दुश्मन ताकतें इस्लामी विशेषताओं को मिटाने के लिए हरबा चला रही हैं  मौलाना मुर्तजा शरीफी मिस्बाही ने कहा कि आला हज़रत रज़ी अल्लाहू अन्हो से सच्ची अकीदत व मोहब्बत खुश अकीदगी की पहचान है। इससे पूर्व जलसे की शुरुआत कुरान मजीद की तिलावत से हाफिज आसिफ ने किया। मौलाना इकबाल बेग कादरी, कारी खुश मोहम्मद खुश्तर ने नात व मनकबत का नजराना पेश किया और जलसे का संचालन मौलाना उमर कादरी और शब्बीर अशरफी कानपुरी ने किया और जलसे की अध्यक्षता मुफ्ती ए आजम कानपुर मुफ्ती इलयास खां नूरी ने किया। अंत में मुल्क व मिल्लत की सलामती और कोरोना जैसी महामारी से हिफाजत की दुआ की गई।इस अवसर पर मुख्य रूप से मुफ्ती नजमुद्दीन कादरी, मौलाना गुलाम हसन, मौलाना इसहाक, मौलाना मुतीउर्रहमान, हाफ़िज़ शब्बीर, हाफिज अब्दुल हफीज, मास्टर इकबाल नूरी, नज़ीर खाँ, हशमत नूरी आदि उपस्थित रहे।


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