महंगाई और बेरोजगारी ने देश की कमर तोड़ दी है - असित सिंह - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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महंगाई और बेरोजगारी ने देश की कमर तोड़ दी है - असित सिंह

 


कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के तत्वाधान में गोल चौराहा स्थित अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर आज़ादी के पचहत्तर वीं जयंती पर श्रमिक नेताओं ने कहा

आज का दिन प्रत्येक भारतवासी के लिए गौरवशाली दिन है, क्योंकि इसी दिन भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्ति मिली थी।इस बार स्वतंत्रता दिवस की महत्ता इसलिए भी बहुत ज्यादा है, क्योंकि इस वर्ष देश की गुलामी की जंजीरों से मुक्ति के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में ‘आजादी का पखवारा’ मनाया जा रहा है।

पांच साल में केवल 60 लाख लोगों को ही नौकरी मिली। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में नौ प्रतिशत है। एमएसएमई क्षेत्र में 60 प्रतिशत इकाइयां बंद पड़ी हैं।  मनरेगा के लिए केवल  73 हजार करोड़ रुपये का आवंटन मिला। सरकार ने 100 दिन के रोजगार का और कोविड काल में 150 दिन के रोजगार का वादा किया था लेकिन केवल 20 दिन का ही रोजगार दिया गया।                                                                   एक्साइज ड्यूटी बढ़ा कर 25 लाख करोड़ रुपये कमाए गए। सरकार ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा कर 25 लाख करोड़ रुपये कमाए। लेकिन पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते गए और इसकी वजह से हर चीज महंगी होती गई। एलपीजी के दाम 117 प्रतिशत बढ़े। 2014 में एक सिलिंडर की कीमत 414 रुपये थी जो आज 1000 रुपये हो गई। क्या यही अच्छे दिन हैं ?  नेताओं ने कहा कि महांगई इतनी बढ़ गई है कि आम आदमी के लिए गुजारा करना मुश्किल हो गया है। ‘‘महंगाई, बेरोजगारी बढ़ रही है फिर अच्छे दिन कहां हैं? भुखमरी सूचकांक में 116 देशों में भारत 101 पायदान पर है। 

तकनीकी कौशल हासिल करते हुए देश अंतरिक्ष तक जा पहुंचा है लेकिन महिलाओं से दुर्व्यवहार की घटनाएं जिस प्रकार लगातार बढ़ रही हैं और समाज में अपराधों की तादाद भी बढ़ रही हैं। देश के कोने-कोने से सामने आते अबोध बच्चियों और महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों के बढ़ते मामले आजादी की बेहद शर्मनाक तस्वीर पेश कर रहे हैं। देश में महंगाई सुरसा की तरह बढ़ रही है, मध्यम वर्ग के लिए जीवनयापन दिनों-दिन मुश्किल होता जा रहा है। 

लोकतंत्र के हाशिये पर खड़ी देश की जनता के लिए इस दिशा में फिर से चिंतन-मंथन करना आवश्यक हो गया है कि वह आखिर किस तरह की आजादी की पक्षधर है?

आजादी के दीवानों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस देश को आजाद कराने के लिए वे इतनी कुर्बानियां दे रहे हैं, उस राष्ट्र की ऐसी दुर्दशा होगी और आजादी की तस्वीर ऐसी हो जाएगी। देश में कमर तोड़ महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ आवाज उठाने की ज़रूरत है। तभी शहीदों के सपने साकार होंगे।

 वक्ताओं में प्रमुख रूप से कॉमरेड असित कुमार सिंह, राणा प्रताप सिंह, तारणी कुमार पासवान,राजीव खरे, कुलदीप सक्सेना, आर पी कनौजिया,आर डी गौतम, रामप्रकाश राय, रमेश चंद्र विश्वकर्मा, अशोक तिवारी,मोनी, विजय, कैलाश पासवान, मो वशी, रामकुमार, मो खालिद, सईद, ओम प्रकाश, अतर सिंह, अशोक सिंह,  आदि मौजूद रहे।

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