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ईद-उल-अज़हा की नमाज़ अदा कर मिले गले, मांगी दुआ, पेश की कुर्बानी

 


गोरखपुर, उत्तर प्रदेश त्याग, मोहब्बत व भाईचारे का त्योहार ईद-उल-अज़हा शांति, सादगी व परंपरागत तरीके से मनाया गया। ईद-उल-अजहा की नमाज़ सभी ईदगाहों व मस्जिदों में अमनो अमान व भाईचारे की दुआ के साथ मुकम्मल हुई। गले मिलकर मुबारकबाद पेश की गई। सबसे पहले चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर व सबसे अंत में सुन्नी जामा मस्जिद सौदागर मोहल्ला में नमाज़ अदा की गई। नमाज़ के बाद मुस्लिम घरों व चिन्हित स्थलों पर परंपरा के अनुसार कुर्बानी की गई। छोटों से लेकर बड़ों के चेहरों पर रौनक व चमक दिखी। कोरोना महामारी व लॉकडाउन के दो साल बाद त्योहार में काफी उत्साह नजर आया। 

ईदगाह मुबारक खां शहीद नार्मल, ईदगाह बहरामपुर, ईदगाह बेनीगंज, ईदगाह इंजीनियरिंग कॉलेज, ईदगाह फतेहपुर, जामा मस्जिद रसूलपुर, जामा मस्जिद उर्दू बाजार, जामा मस्जिद सुब्हानिया तकिया कवलदह, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर सहित तमाम इबादतगाहों पर अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ी।


ईद-उल-अज़हा की नमाज़ अदा करने के लिए मुस्लिम समाज सुबह से ही तैयार होने लगा। सभी ने स्नान किया।  बच्चों के साथ बड़ों ने नया कपड़ा पहना, इत्र लगाया। सिरों पर टोपी पहनी। बच्चों की खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं रहा। हाथ में चादर व जानमाज़ ली और चल पड़े ईदगाह व मस्जिदों की तरफ। रंग-बिरंगी, सफेद पोशाकों से हर जगह एक नूरानी शमां नज़र आ रहा था। रास्ते पर चलते हुए सभी लोग तकबीरे तशरीक़ पढ़ते नजर आए। 

ईदगाह व मस्जिदों में जहां जगह मिली, चादर व जानमाज़ बिछाई। फिर ईद-उल-अज़हा की नमाज़ का इंतजार शुरू। मुसलमानों ने ईदगाह व मस्जिदों के इमामों की तकरीर व पैग़ाम को ध्यान लगा कर सुना। तकरीरों में क़ुर्बानी के फजाइल बयान किए गए। एक दूसरे से भाईचारगी व मोहब्बत का पैग़ाम दिया गया। इसके बाद नमाज अदा की गई। खुतबा पढ़ा गया। मुल्कों मिल्लत में अमन, भाईचारगी व एकता की दुआ मांगी गई। हर ओर ईद मुबारक की सदा गूंजने लगी। छोटे से लेकर बड़ों ने एक दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद देनी शुरु की। इसी के साथ ईदी भी बंटनी शुरू हुई। किसी को ईदी में पैसा मिला तो किसी को तोहफा। ईदी पाने के बाद बच्चे बेहद खुश नज़र आए। अपना मनपसंद सामान खरीदा। इबादतगाहों व मुस्लिम बाहुल्य मोहल्ले के पास मेले जैसे माहौल नज़ारा रहा। अल्लाह का फैज लेकर लोग घर वापस लौटे। बहुत से लोग फातिहा पढ़ने कब्रिस्तान भी गए। 


उलमा-ए-किराम ने की तकरीर। 


ईदगाह मुबारक खां शहीद नार्मल में मौलाना फैजुल्लाह कादरी ने क़ुर्बानी के फजाइल बयान किए। कहा कि कुर्बानी हमें शिक्षा देती है कि दीन-ए-इस्लाम के लिए जब भी जरूरत पड़े तो माल व जान देने से पीछे नहीं  हटना चाहिए। 

गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि क़ुर्बानी अल्लाह को बहुत प्यारी है। क़ुर्बानी के गोश्त का तीन हिस्सा कर एक हिस्सा गरीबों को सदका कर दें। दूसरा हिस्सा दोस्त, रिश्तेदारों, पड़ोसियों को और तीसरा हिस्सा खुद इस्तेमाल करें। सजदों से मस्जिदों को आबाद करें। भाईचारा कायम रखें। 


मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती में मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि मुसलमानों को नमाज़ से गाफ़िल नहीं रहना चाहिए। क़ुर्बानी में सभी का ख्याल रखें। यह खुशी मेहमान नवाजी की है। किसी का दिल नहीं टूटना चाहिए। 


सुबह से शाम तक हुई क़ुर्बानी। 


नमाज़ के बाद पैग़ंबर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व पैग़ंबर हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की क़ुर्बानी की याद में बकरा, भैेस व पड़वा की क़ुर्बानी दी गई। जिसका सिलसिला शाम तक चला। शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों खूनीपुर, रहमतनगर, शेखपुर, जाफ़रा बाज़ार, रेती, उर्दू बाज़ार, नखास, अस्करगंज, धम्माल, रसूलपुर, जाहिदाबाद, वजीराबाद, पुराना गोरखपुर, गोरखनाथ, बुलाकीपुर, बड़े काजीपुर, पिपरापुर, इलाहीबाग, तिवारीपुर, तुर्कमानपुर, बक्शीपुर सहित विभिन्न जगहों पर उत्साह व चहल पहल का माहौल रहा।यहां क़ुर्बानी का खास एहतमाम किया गया था। घरों के अलावा शहर में चिन्हित तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर सामूहिक क़ुर्बानी हुई।  


गरीबों में बांटा कुर्बानी का गोश्त। 


क़ुर्बानी के गोश्त का तीन हिस्सा किया गया। एक हिस्सा खुद के लिए, एक दोस्त अहबाब व पड़ोसियों के लिए और एक गरीबों में बांटा गया। चमड़ा मदरसों को सदका किया गया। सामूहिक क़ुर्बानी स्थलों पर दूर दूर से आए लोगों का तांता लगा रहा। 


खूब हुई मेहमान नवाजी। 


औरतों ने मेहमाननवाजी यादगार बनाने के लिए सभी तरह की तैयारियां कीं। मीठी सेवईयों के साथ लजीज व्यंजन जैसे दही बड़ा, छोला, कबाब, भुनी कलेजी, बिरयानी, कोरमा, भुना गोश्त बनाकर तैयार किया। इन लजीज व्यंजनों का मजा लेने के लिए बटर नान, बाकरखानी, शीरमाल बाजार से मंगाया गया। 


तमाम तरह की रोटियों ने बढ़ाया व्यंजनों का जायका


तुर्कमानपुर, इलाहीबाग, गोरखनाथ, नखास, उर्दू बाजार के पास स्थित होटलों पर रोटियां लेने वालों की लाइन लगी रही। इन रोटियों से व्यंजनों का जायका बढ़ गया। कई तरह के व्यंजनों के साथ यखनी पोलाव भी व्यंजनों की फेहरिस्त में चार चांद लगा रहा था। सभी ने मिलकर लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाया। ईद-उल-अज़हा का सारा दिन खुशियों के नाम रहा। क़ुर्बानी सोमवार व मंगलवार को भी होगी।


काबा शरीफ़ का गिलाफ व कदमे रसूल की कराई जियारत


जाफरा बाजार स्थित सब्जपोश हाउस मस्जिद में बाद नमाज ईद-उल-अजहा मुसलमानों के पवित्र शहर मक्का में स्थित काबा शरीफ का गिलाफ, पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के कदमों का निशान व बगदाद स्थित हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी 'गौसे आज़म' रहमतुल्लाह अलैह के मजार की ईट की जियारत सलातो सलाम हाफिज रहमत अली निजामी ने कराई।

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