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रब को राजी करने का महापर्व है ईद-उल-अजहा ई. मिन्नत गोरखपुरी

 कुर्बानी के अवशेष को किसी गड्ढे में दफन करने के साथ ही कुर्बानी के खून को नालियों में ना बहने देने की_मिन्नत गोरखपुरी ने की अपील। 



गोरखपुर शहर के युवा समाजसेवी शायर साहित्यकार लेखक एवं धरा अंबेडकर धरा धाम व राष्ट्रीय प्रवक्ता राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ भारत ई.मिन्नत गोरखपुरी ने ईद-उल-अजहा बकरी प्रदेश के नागरिकों को मोहब्बत का पैगाम देते हुए कहा कि उन्हीं जानवरों की कुर्बानी करें जो जानवर कुर्बानी योग्य हो साथ ही साथ उन्होंने कहा कि कुर्बानी खुले में ना करें और कुर्बानी के जानवरों के खून और उसके गंदगी नालियों में ना बहाये ई. मिन्नत गोरखपुरी ने कहा कि देश भर में बकरीद का त्यौहार 3 दिनों तक मनाया जाता है उन्होंने कहा कि ईद-उल-अजहा (बकरीद) का त्यौहार हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की याद में मनाया जाता है ईद-उल-अजहा (बकरीद) मजहबी त्यौहार के साथ ही साथ इंसानियत का भी त्यौहार है उन्होंने कहा कि मुसलमान ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज अदा करें कि कुर्बानी देकर अपने रब को राजी करता है ई.मिन्नत गोरखपुरी ने कहा कि ऐसे जानवरों की कुर्बानी करें जिसकी हमें भारतीय कानून से इजाजत मिली है ऐसे जानवरों की कुर्बानी बिल्कुल ना करें जिन पर हुकूमत हिंद द्वारा पाबंदी है जवानी के दिनों में साफ-सफाई का खास ख्याल रखें साथ ही साथ ई.मिन्नत गोरखपुरी ने कहा कि इस्लाम में साफ-सफाई को आधा ईमान करार दिया गया है मुल्क भर के मुसलमानों से ई.मिन्नत गोरखपुरी ने अपील करते हुए कहा कि अच्छा मुसलमान वह अच्छा शहरी होने की जिम्मेदारी के साथ कुर्बानी के वक्त दूसरे मजहब का भी ख्याल रखा जाए कुर्बानी के अवशेष को किसी गड्ढे में दफन करें दें ताकि उसका खून नालियों में ना बहने पाये|

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