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जन-जन में फैलाएं एक विचार, छोटा परिवार - खुशियाँ अपार : प्रतीक भूषण सिंह

 


रिपोर्ट मोहम्मद सलमान

 गोंडा, लगातार बढ़ती जनसंख्या एक तरह से विकास में बाधक है | समाज में व्याप्त गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी जैसी समस्याओं के पीछे काफी हद तक जनसंख्या वृद्धि जिम्मेदार है | इसलिए वर्तमान समय में परिवार नियोजन और जनसंख्या स्थिरीकरण की ओर ध्यान देना अत्यावश्यक है | ये उदगार गोंडा जनपद के सदर विधायक प्रतीक भूषण सिंह ने सोमवार को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर गाँधी पार्क स्थित टॉउन हॉल में आयोजित सेमिनार का शुभारम्भ करने के दौरान व्यक्त किये |

मुख्य अतिथि सदर विधायक प्रतीक भूषण सिंह के अलावा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण सेवाएं डॉ एपी सिंह, जिला चिकित्सालय की प्रमुख अधीक्षिका डॉ इन्दूबाला, जिला महिला चिकित्सालय अधीक्षिका डॉ सुषमा सिंह, एसएमओ डॉ विनय डांगे व एससीपीएम ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेज ऐंड हॉस्पिटल की सह संस्थापिका अल्का पाण्डेय समेत अन्य लोगों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया | इसके बाद सीएमओ व एसीएमओ आदि ने अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंटकर अतिथियों का स्वागत और सम्मान किया |

सदर विधायक ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हर दिन तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या पर यदि समय रहते स्थिरीकरण नहीं हो सका, तो आने वाली पीढ़ी को भोजन, वस्त्र, आवास, स्वच्छ पेयजल आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा | हमारे देश का विकास अत्यधिक जनसंख्या के आगे बौना पड़ जाता है | इन्हीं वक्तव्यों के साथ विधायक ने कार्यक्रम में उपस्थित एएनएम, आशा और आशा संगिनी कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि सभी अपने दायित्यों का पूरी निष्ठा पालन करें, आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं  मुहैया कराएं और जन-जन में छोटा परिवार - खुशियाँ अपार का सन्देश फैलाएं |

जिलाधिकारी डॉ उज्जवल कुमार ने कहा कि परिवार की खुशहाली, शिक्षा, स्वास्थ्य और तरक्की तभी संभव है, जब परिवार सीमित होगा। विकास के उपलब्ध संसाधनों का समुचित वितरण और बढ़ती जनसँख्या दर के बीच संतुलन कायम करने के उद्देश्य से आज सबसे अधिक जरूरत जनसँख्या स्थिरीकरण की है।

सीडीओ गौरव कुमार ने अपने उद्बोधन में वर्तमान में बढ़ती आबादी के कारण होने वाले दुष्प्रभावों और इससे जुड़े सभी मुद्दों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर उन्हें जागरूक करना ही इस दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य बताया | 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ परिवार को सीमित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास बास्केट ऑफ़ च्वाइस का विकल्प मौजूद हैं, जिसमें स्थायी और अस्थायी साधनों को शामिल किया गया है। इन अस्थायी साधनों में से अपनी पसंद का साधन चुनकर शादी के दो साल बाद ही बच्चे के जन्म की योजना बना सकते हैं। दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर भी रख सकते हैं। दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखना मां और बच्चे दोनों की बेहतर सेहत के लिए बहुत जरूरी है। जब परिवार पूरा हो जाए तो स्थायी साधन के रूप में नसबंदी का विकल्प चुन सकते हैं ।

इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. एपी सिंह ने कहा कि समुदाय में परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता लाने के लिए फ्रंट लाइन कार्यकर्ताओं के माध्यम से दो चरणों में परिवार नियोजन पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसके पहले चरण में 27 जून से 10 जुलाई तक दम्पति सम्पर्क पखवाड़ा मनाया गया, जिसके तहत लक्षित दम्पति को चिन्हित कर परिवार नियोजन साधनों को अपनाने के प्रति प्रेरित किया गया। अगला चरण जनसँख्या स्थिरता पखवाड़ा का आज से शुरू हो रहा है जो 30 जुलाई तक चलेगा । इसके तहत लक्षित दम्पति को सेवा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन के बारे में किशोर-किशोरियों को भी जागरूक करने की जरूरत है ताकि भविष्य में वह सही समय पर सही कदम उठाने के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकें।

मंच का संचालन एसीएमओ डॉ एपी सिंह व मंथन संस्था के दीपक श्रीवास्तव ने किया | सेमिनार में डीपीएम अमरनाथ, डीसीपीएम डॉ आरपी सिंह, आरकेएसके के जिला समन्वयक रंजीत सिंह, डीईआईसी मैनेजर उमाशंकर वर्मा, जिला परिवार नियोजन एवं सामग्री प्रबंधक एस. लारी, डीएफपीएस राघवेन्द्र प्रताप पाण्डेय, शिवांशु मिश्रा व विजयकांत शुक्ला समेत अन्य लोग मौजूद रहे

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