सुरक्षित मातृत्व दिवस पर स्वास्थ्य इकाइयों पर गर्भवती का कराएं चेक अप – सीएमओ
संतकबीरनगर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ इन्द्र विजय विश्वकर्मा ने बताया कि प्रधानमन्त्री सुरक्षित मातृत्व दिवस पर जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी जैसी स्वास्थ्य इकाइयों पर गर्भवती की जांच विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा हर महीने की 9 तारीख को की जाती है। सभी स्वास्थ्य इकाइयों के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी आशा कार्यकर्ता व अन्य जिम्मेदार संकल्पित भाव से काम करें। हर गर्भवती की विशेषज्ञ चिकित्सक से जांच आवश्यक है।
सीएमओ ने बताया कि पिछले माह जनपद स्तर पर निर्धारित 1500 गर्भवती की जांच के लक्ष्य के सापेक्ष 881 जांच हुई थी। केवल नाथनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र इकाई ने ही अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया था। वहां पर 150 जांच के लक्ष्य के सापेक्ष 151 गर्भवती की जांच की गयी थी। सांथा ने 80 प्रतिशत, बेलहर कला ने 75 प्रतिशत और मेंहदावल ने 70 प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त किया था। इस बार सभी अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करें। ताकि मातृ व शिशु मृत्युदर को रोका जा सके।
सीएमओ ने बताया कि सुरक्षित मातृत्व दिवस के अवसर पर गर्भवती की डाइबिटीज, एनीमिया, सीवियर एनीमिया, हाई ब्लड प्रेशर की जांच के साथ ही हाई रिस्क प्रेग्नेन्सी (उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था) चिन्हित की जाती है। यही वजह है कि इसे एचआरपी डे के नाम से भी लोग जानते हैं |इसके साथ ही जोखिम के हिसाब से लाल, नीला व पीला स्टीकर प्रयोग किया जाता है। लाल स्टीकर उच्च जोखिम की गर्भावस्था , नीला स्टीकर बिना किसी जोखिम की गर्भावस्था तथा पीला स्टीकर अन्य समस्याओं को इंगित करता है। इसलिए आवश्यक है कि गर्भावस्था के तीन से छह माह के भीतर गर्भवती की जांच एक बार अवश्य कर ली जाए
*जांच में देर होने पर मिलता है भोजन*
एसीएमओ डॉ मोहन झा ने बताया कि सुरक्षित मातृत्व दिवस पर जांच सायं 4 बजे तक चलती है। प्राय: यह देखा जाता है कि गर्भवती की संख्या अधिक हो जाने पर उन्हें देर तक रुकना पड़ जाता है। ऐसे में अगर कोई भी गर्भवती दोपहर के बाद तक केन्द्र पर रुकती है तो उसको भोजन भी दिया जाएगा।
*विशेषज्ञ से जांच जरूरी*
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ विजय गुप्ता बताते हैं कि गर्भवती की जांच आशा और एएनएम स्तर पर उपकेन्द्रों पर होती रहती है, लेकिन सरकार की मंशा यह है कि गर्भावस्था में कम से कम एक बार विशेषज्ञ के जरिए उनकी जांच कर ली जाए। इससे गर्भावस्था में चल रही महिला की हाईरिस्क प्रेगनेन्सी आदि का पता चल जाता है। उसी हिसाब से उसका उपचार होता है।
*हर माह की नौ तारीख को सुरक्षित मातृत्व दिवस*
सुरक्षित मातृत्व अभियान की जिला परामर्शदाता संगीता बताती हैं कि जिले में हर महीने की नौ तारीख को मनाए जाने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस अभियान के दौरान प्रथम त्रैमास में हर गर्भवती की जांच चिकित्सक की देख रेख में होती है । अस्पतालों में ब्लड, यूरिन, ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच करने के साथ ही आवश्यक दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है । आवश्यकता पड़ने पर उनका अल्ट्रासाउण्ड भी किया जाता है। इस दौरान जटिल प्रसव वाली महिलाओं का चिन्हीकरण भी किया जाता है।
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