सहारा मुख्यालय पर सम्पन्न हुई मीटिंग सम्पन्न सहारा श्री सुब्रत राय ने दिया प्रबंधकगण,ऑफिस स्टाफ एवं बरिष्ठ/कनिष्ट कार्यकर्ताओं को संदेश
लखनऊ के सहारा मुख्यालय पर सम्पन्न हुई मीटिंग के बाद कल जोन पर सभी आर एम, जे पी एवं रीजनल जोनल एडवाइजर के साथ माननीय चीफ साहब की मीटिंग हुई जिसमें विस्तृत चर्चा परिचर्चा हुवा, जिसकी जानकारी नीचे ★संक्षेप में वर्णित है। साथियों इसमे कोई अतिशयोक्ति नहीं कि बर्तमान में हम सभी बहुत ही कठिन स्थितियों से गुजर रहें है। ऐसे में पूज्यनीय सहारा श्री सुब्रत राय इन परिस्थितियों से उबरने हेतु लगातार प्रयासरत हैं, जैसा कि मीटिंग में बताया गया, एवं पूज्यनीय सहारा श्री सुब्रत राय भी समय समय पर हम सभी को अवगत कराते रहें हैं। उनका दृढ़ विश्वास है कि शीध्र ही संस्था इन परेशानियों से बाहर निकल जायेगी एवं आगे और अच्छी, मजबूत, विश्वसनीय संस्था बनकर उभरेगी, एवं हम सबका जीवन बेहद सहज, सुन्दर, सुखद हो जाएगा साथियों आज की इस विपरीत परिस्थितियों में अपनी परेशानियों के चलते संस्था के प्रति हम सबकी सोच दिनप्रतिदिन बदल रही है....और बदले भी क्यों नहीं...? कारण की हममें से ज्यादातर लोग बस एक ही बात करने लगें हैं कि अब संस्था नहीं बचेगी....अब संस्था का कुछ नहीं होगा.... इसके पीछे हमारी क्या सोच, समझ, तर्क है...? बस यही न कि.... काफी दिनों से जब कुछ समाधान नहीं हो पा रहा है, तो आगे क्या कहा जाय.... जबकि आज से 8,10 वर्ष पूर्व ही हम सब पूज्यनीय सहारा श्री सुब्रत राय ने कहा की अदभुत परिकल्पना, अदम्य साहस, दूरदर्शिता जिसके बल पर मात्र 2000 ₹ की पूँजी के साथ चन्द समय मे ही 2,89,253 करोड़ ₹ से अधिक परिसम्पत्तियों वाली विश्व की विशालतम संस्था की मजबूतियों के बारे में बताते गिनाते नहीं थकते थे..... तो क्या आज वह मज़बूतियाँ खतम हो गयी...?? नहीं.... आज भी सबकुछ वैसा का वैसा ही है, जैसा की 8,10 वर्ष पहले था....
साथियों जब किसी संस्था, व्यक्ति, वस्तु को उसके गुण दोष के आधार पर ज्यादातर लोग ज्यादातर समय गुणगान करतें हैं, तो वह अच्छा कहलाने लगता है। एवं जब ज्यादातर लोग ज्यादातर समय उसकी आलोचना करने लगतें हैं तो वह अच्छा होते हुवे भी खराब दिखने, लगने लगता है। (जैसे "आम" को ज्यादातर हजारो लाखों लोग "इमली" कहने लगें, तो कुछ चन्द लोग भी उसको हार मानकर "इमली" ही मान बैठतें हैं।)
साथियों आज भी संस्था के पास देनदारियों की तुलना में बर्तमान बाजार भाव पर संस्था की सम्पत्तियां तीन गुना से अधिक है। केवल एम्बेवैली की कीमत ही 3 लाख करोड़ (सम्पूर्ण एरिया विकसित होने पर) *से अधिक है, वर्सोवा मुँबई की जमीन की कीमत आज 52 हजार करोड़ से अधिक है, इजरायल, मेसिडोनिया, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, बंगलादेश, मेसोपोटामिया आदि देशों में संस्था का व्यापार सम्पत्ति है। होटल, हॉस्पिटल, फिल्मसिटी, संस्था की सैकड़ों अपनी बिल्डिंग दिल्ली, मुंबई, कोलकाता एवं अन्य केपिटल शहरों में, सहारा सिटीहोम टाउनशिप 19 शहरों में निर्माणाधीन, डेयरी फार्म, सुन्दर वन परियोजना कोलकाता, सहारा इवाल्स प्लान्ट, चीनी मिल, विद्युत उत्पादन संयंत्र बघोली 108 एकड़ भूमि पर, सहारा वन इंटरटेनमेंट चैनल, प्रिंटिंग प्रेस, मीडिया हाउस इत्यादि के साथ 25 हजार करोड़ (31 मार्च 2022 तक) सेबी के पास escrow (एस्क्रो) अकाउंट में पड़ा है, यह नगद लिक्यूटिटी है, जो आज के समय मे बहुत कम संस्थान, बैंक, LIC के पास है, लिक्यूटिटी (कैश रीच) के मामले में अपनी संस्था भारत मे टॉप 10 में अग्रणी है। 36,970 एकड़ कामर्शियल लेण्ड में से केवल 6 हजार एकड़ जमीन बिकी है, अभी भी संस्था का 30,210 एकड़ कमर्शियल भूमि बैंक है। 5436 एकड़ जमीन तो अकेले मेसोपोटामिया में है।
साथियों ये सत्य है कि इतनी सशक्त संस्था होने के बाद भी आज समस्या बनी हुई है, तो इसका एक मात्र कारण सेबी-सहारा विवाद एवं संस्था पर लगा एमबार्गो (प्रतिबंध) है, जो की बिल्कुल समापन के कगार पर खड़ा है,★पूज्यनीय सहारा श्री जी के अनुसार संस्था भुगतान के प्रति बचनबद्ध है। और बस कुछ महीनों में ही निश्चित रूप से हम सब इन परेशानियो से उबर जायेंगें। जिसका प्रबल संकेत मुख्यालय पर मीटिंग एवं पूज्यनीय सहारा श्री जी से भी मिला है। साथियों हम सब अपनी अपनी भूमिका में लगे रहें, एवं मुख्यालय मीटिंग में दीगयी आय/व्यवसाय की प्लांनिग (जो एक दो दिन में सम्पूर्ण विवरण सहित विस्तार से आपको अवगत कराया जाएगा) को साथ लेकर आज जो काम, जितना काम हम सभी कर/करा सकतें हैं पूरे विश्वास के साथ करते, कराते रहें, शीघ्र ही हम सब अपने अपेक्षाओं, उम्मीदों से भी अधिक उचाईयों को प्राप्त करेंगें। और सम्मानित जमाकर्ता भी अटूट विश्वास से ओत प्रोत होकर आपको व्यवसायिक शिखर पर पहुंचाने में अपना योगदान करेंगें। एवं हम "शेष लोग" "विशेष लोग" ही संस्था के इस स्वर्णिम अवसर का लाभ प्राप्त करेंगे देर है,अंधेर नहीं सत्य परेसान हो सकता है, पराजित नहीं इस विश्वास और भरोसा को आत्मसात कर निरंतरता एवं पूरी निष्ठा, दृढ़ता के साथ संस्था में जुटे रहकर प्रयास करते कराते रहें।
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