दरे अहलेबैत से मिलता है वफ़ा और मोहब्बत का सबक सूफी ख़ानक़ाह एसोसिएशन
कानपुर,पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहवसल्लम की बेटी हज़रते फ़ातिमातुज़्ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के यौमे विलादत के मौके पर मुंबई के माटुंगा स्थित जामा मस्जिद अशरफिया में जश्ने यौमे विलादत मख़दूमाये कायनात सूफी ख़ानक़ाह एसोसिएशन के बैनर के साथ मनाया गया।जिसमे प्रख्यात सूफी मौलाई विद्वान ख़तीब ए दकन हज़रत सय्यद आले मुस्तफ़ा क़ादरी साहब मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि दरे पंजतन वो है जहां हर परेशान और मज़लूम की दादरसी की जाती है।
अज़मते सय्यदा फ़ातिमातुज़्ज़हरा का अंदाज़ा कोई क्या कर सकता है जिन्होंने इंसानियत को बचाने के लिए अपनी नस्ल के बच्चे बच्चे को अपने रब की रज़ा के लिए क़ुर्बान कर दिया।
कानपुर से ऑनलाइन संबोधन में राष्ट्रीय संयुक्त सचिव सय्यद अबूज़र ज़ैदी ने कहा कि यह बहुत बड़ी शर्म की बात है कि सय्यदा का रौज़ा शहीद किया गया और ख़ुद को नबी से मोहब्बत करने का दावा करने वाले इस बात को भूल जाते हैं, उन्होंने कहा कि अगर नबी से मोहब्बत का दावा है और दिल मोहब्बते अहले बैत से ख़ाली है तो ऐसी मोहब्बत सिर्फ दिखावे के अलावा कुछ नहीं।अन्य वक्ताओं में सय्यद महबूब हुसैन यजदानी सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन महाराष्ट्र प्रदेश उपाध्यक्ष और खानकाह फैजाने अहलेबैत के सज्जादा नशीन पीर सय्यद मंसूर अली शाह क़ादरी प्रदेश महासचिव और अशरफिया जामा मस्जिद प्रबंध समिति के महासचिव शहाउल हमीद क़ादरी ने संबोधित किया इस अवसर पर एसोसिएशन के सदस्य मोहम्मद नदीम सहित कई पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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