नौकरशाहों पर राजनीति में प्रवेश पर लगे पाँच वर्ष का प्रतिबंध-अनुपम मिश्रा
लखनऊ आर एल डी के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम मिश्रा ने हाल ही में आई.पी.एस.की नौकरी छोड़कर कानपुर के कमिश्नर द्वारा भा.ज.पा.की सदस्यता लेने को भविष्य के गंभीर संवैधानिक संकट की आहट बताते हुए कहा कि यह तो एक कमिश्नर है जिसने इस्तीफ़ा दे दिया तो पता चल गया अभी ना जाने कितने ऐसे अधिकारी होंगे जो सरकारी सेवा में रहते हुए सत्तारूढ़ दल के एजेंट की तरह कार्य कर रहे होंगे।
आज मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा व न्यायिक सेवा जैसी अति महत्वपूर्ण व उत्कृष्ट सेवाओं में कार्यरत अधिकारियों के लिए राजनीति में प्रवेश करने पर तत्काल कठोर व आवश्यक नियम बनाए जाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि इन महत्वपूर्ण सेवाओं में कार्यरत अधिकारियों से तटस्थता पूर्वक निष्पक्ष रहते हुए अपने कर्तव्य निर्वहन व देश की सेवा अपेक्षित होती है।
किंतु यदि इसी प्रकार सेवाएं छोड़कर प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक दलों की सदस्यता लेने लगेंगे। तो इस देश की पूरी प्रशासनिक व न्यायिक व्यवस्था पर न केवल प्रश्नचिन्ह लग जाएगा बल्कि ‘लॉयड जॉर्ज’ का “शासन का फौलादी ढांचा “भी ढह जाएगा ।
अनुपम मिश्रा ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 312 में अखिल भारतीय सेवाओं का प्रावधान सन्निहित किया गया है।
यह सेवाएं विकास के कालक्रम से गुजर कर अपने वर्तमान स्वरूप में आई हैं। उनमें सकारात्मक व नकारात्मक दोनों ही पक्ष हैं। कार्यकुशलता,योग्यता, अनुशासन,प्रतिबद्धता, निष्ठा, तटस्थता तथा नेतृत्व इत्यादि गुणों से लैस इस सेवा का पराभव आने वाले समय में भारतीय संघवाद पर कठोर प्रहार का कारण बन जाएगा। अतः इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को ऐसी नियमावली तत्काल प्रभाव से लागू करनी चाहिए कि कोई भी भारतीय प्रशासनिक सेवा,भारतीय पुलिस सेवा अथवा न्यायिक सेवा का अधिकारी सेवानिवृत्ति अथवा। वी.आर.एस.लेने के उपरांत न्यूनतम 5 वर्षों तक सक्रिय राजनीतिक जीवन में प्रवेश नहीं कर पाए। तभी हम भारत के संघीय ढांचे को बरकरार रख पाएंगे। क्योंकि यदि प्रशासक नौकरी छोड़कर सत्तारूढ़ दल की सदस्यता लेते हैं तो इनके द्वारा पिछले प्रशासनिक निर्णयों /कार्यों की निष्पक्षता पर न केवल उँगली उठेगी बल्कि उसके दूरगामी भयानक परिणाम सामने आएँगे साथ ही निष्ठा पूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले अधिकारियों पर भी सदैव संदेह की तलवार लटकती रहेगी
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