भला मनरेगा जाब कार्ड धारी क्यो न मले हाथ रोजी चली ठेकेदारी के घर सक्षम अधिकारियो की संज्ञानता भी चढ़ी उदासीनता की भेंट
सन्त कबीर नगर - हालांकि ठेकेदारी मे भी गरीब तबके के मजदूर भी काम करते है लेकिन बात जब नियम कानून के दायरे अनुपालन की हो तो यह भी नागवार ही नही बल्कि नियम अनुपालन की अनदेखी कही जायेगी । जिसका उदाहरण विकास खण्ड बघौली का ग्राम पंचायत उड़सरा है जहां मनरेगा मजदूरो को दरकिनार कर ठेकेदारी के माध्यम से मनरेगा मेड़बंधी हो रहा है खण्ड विकास अधिकारी की निगरानी मे सेक्रेटरी की जानकारी मे रोजगार सेवक की निगहबानी मे ग्राम प्रधान द्वारा मेड़बंधी का काम तय पांच रुपया प्रति मीटर के दर से ठेकेदारी से कराया जा रहा है । जबकि ग्राम पंचायत मे लगभग चार सौ मनरेगा जाब कार्ड धारक मजदूर है । मीडिया के माध्यम से ऐसा ही कुछ एक उदाहरण ग्राम पंचायत गंगौली का रहा है जहां ग्राम पंचायत के मनरेगा मजदूरो को दरकिनार कर दूसरे ग्राम पंचायत के मजदूरो से कराया जा चुका है । फिर उसे गंभीरता से नही लिया गया । ऐसे मे सवाल उठता है कि सरकार नियम ही क्यो बनाती है क्यो इसके अनुपालन के लिए भारी भरकम बोझ उठाते हुए देश प्रदेश के खजाने से मोटी तनख्वाह देते हुए रोजगार सेवक, सेक्रेटरी से लेकर ए पी ओ , खण्ड विकास अधिकारी .डी सी मनरेगा की नियुक्ति करती है जब इन्ही की निगरानी इन्ही की जिम्मेदारी मे नियम को तोड़कर मनमर्जी से काम कराया जाता है ? सवाल यह भी उठता है की सैकड़ो की संख्या मे बनने वाले जाब कार्डो के रिकार्ड से लेकर रजिस्टर मेन्टेनेन्स के लिए बेशकीमती समय क्यो गंवाया जाता है जब इसके कोई मतलब नही है ?
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